Skip to main content

सिगरेट-तंबाकू से कमजोर न करें अपने फेफड़े, इस बुरी आदत को छोड़ने के लिए सबसे अच्छा मौका है लॉकडाउन

आज वर्ल्ड नो टोबैको डे है। इस साल की थीम है युवाओं को तम्बाकू और निकोटीन के दूर रखने के साथ उन झांसों से भी बचाना, जिससेकम्पनियां उन्हें धूम्रपान करने के लिए आकर्षित करती है। तम्बाकू से कमजोर हुए फेफड़े कोरोनावायरस को संक्रमण का दायरा बढ़ाने में मुफीद साबित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) और शोधकर्ताओं ने भी चेतावनी दी है।

एक सर्वे कहता है, 27 फीसदी टीनएजर्स ई-सिगरेट पीते हैं। उनका मानना है कि ये स्मोकिंग नहीं सिर्फ फ्लेवर है और सेहत के लिए खतरनाक नहीं। इस पर मेदांता की विशेषज्ञ डॉ. सुशीला का कहना है, यह एक गलतफहमी है, वैपिंग भी सिगरेट पीने जितना खतरनाक है।

वर्ल्ड नो टोबैको डे पर जानिए कोरोना और तम्बाकू का कनेक्शन, इस मुद्देपर डब्ल्यूएचओ और मेदांता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया की सलाह

लॉकडाउन तम्बाकू छोड़ने का सबसे अच्छा समय
डॉ. कटारिया कहती हैं, तम्बाकू छोड़ने के लिए लॉकडाउन सबसे अच्छा समय है। तम्बाकू छोड़ने के लिए कम से कम 41 दिन का समय चाहिए होता है। अगर तीन महीने तक कोई तम्बाकू नहीं लेता या स्मोकिंग नहीं करता तो वापस इसे शुरू करने की आशंका 10 फीसदी से भी कम रह जाती है। आप लॉकडाउन के दौरान दुनिया के सबसे बड़े एडिक्शन से पीछा छुड़ा सकते हैं।

टीनएजर्स में सिगरेट से ज्यादा आसान ई-सिगरेट की लत पड़ना
कुछ लोग कहते हैं हम तो सिगरेट नहीं ई-सिगरेट पी रहे हैं और इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इस पर डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि ई-सिगरेट में खासतौर पर एक लिक्विड होता है, जिसमें अक्सर निकोटिन के साथ दूसरे फ्लेवर होते हैं। हमे इसकी लत लग जाती है और फेफड़े भी डैमेज होते हैं।

इन दिनों यह कई फ्लेवर में उपलब्ध हैं ऐसे में बच्चों में इसकी लत लगना सिगरेट से भी ज्यादा आसान है। ई-सिगरेट की आदत पड़ने के बाद सिगरेट और तम्बाकू की लत पड़ना काफी आसान हो जाता है, ऐसा कई शोध में भी सामने आया है।

4 सवालों में डब्ल्यूएचओ की नसीहत : तम्बाकू हर रूप में है खतरनाक और संक्रमण का खतरा भी बढ़ाता है

Q-1) मैं स्मोकिंग करता हूं, क्या मुझे कोरोना का गंभीर संक्रमण हो सकता है?
डब्ल्यूएचओ : स्मोकिंग और किसी भी रूप में तम्बाकू लेने पर सीधा असर फेफड़े के काम करने की क्षमता पर पड़ता है और सांस लेने से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं। संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़े पर अटैक करता है, इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है। वायरस फेफड़े की कार्यक्षमता को घटाता है। अब तक कि रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों में वायरस का संक्रमण और मौत दोनों का खतरा ज्यादा है।

Q-2) मैं स्मोकिंग नहीं करता सिर्फ तम्बाकू लेता हूं तो संक्रमण का कितना खतरा है?
डब्ल्यूएचओ : यह आदत आपके और दूसरे, दोनों के लिए खतरनाक है। तम्बाकू लेने के दौरान हाथ मुंह को छूता है। यह भी संक्रमण का जरिया है और कोरोना हाथ के जरिए मुंह तक पहुंच सकता है। या हाथों में मौजूद कोरोना तम्बाकू में जाकर मुंह तक पहुंच सकता है। तम्बाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है, ऐसे में जब इंसान थूकता है तो संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, इससे मुंह, जीभ, होंठ और जबड़ों का कैंसर भी हो सकता है।

Q-3) स्मोकिंग के अलग-अलग तरीकों से कैसे कोविड-19 का खतरा कितना बढ़ता है?
डब्ल्यूएचओ : सिगरेट, सिगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वाले कोविड-19 का रिस्क ज्यादा है। सिगरेट पीने के दौरान हाथ और होंठ का इस्तेमाल होता है और संक्रमण का खतरा रहता है। एक ही हुक्का को कई लोग इस्तेमाल करते हैं जो कोरोना का संक्रमण सीधेतौर पर एक से दूसरे इंसान में पहुंचा जा सकता है।

Q-4) स्मोकिंग या धूम्रपान छोड़ने पर शरीर में कितना बदलाव आता है?
डब्ल्यूएचओ : इससे छोड़ने के 20 मिनट के अंदर बढ़ी हुई हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगता है। 12 मिनटबाद शरीर के रक्त में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर घटने लगता है। 2 से 12 हफ्तों के अंदर फेफड़ों के काम करने की हालत में सुधार होता है। 1 से 9 माह के अंदर खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ कम हो जाती है।

कितना दम घोट रहा तम्बाकू
तम्बाकू से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इनमें 70 लाख मौत सीधेतौर पर तम्बाकू लेने वालों की हो रही हैं और दुनिया छोड़ने वाले करीब 12 लाख ऐसे लोग हैं जो धूम्रपान करने वालों के आसपास होने के कारण प्रभावित हुए।

बीमार और स्वस्थ फेफड़ों के बीच फर्क बताता यह वीडियो आपको अलर्ट रखने के लिए काफी है



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Coronavirus Tobacco | World No-Tobacco Day 2020/Coronavirus and COVID-19 Connection Updates; Smoking are More at Risk Of Corona


https://ift.tt/36Ml05o

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...