कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देशों में से 7 ने टोटल लॉकडाउन किया था, उनमें से सिर्फ भारत में नए मामले बढ़ रहे
कोरोना के सबसे ज्यादा असर वाले 10 देशों में से 7 ने इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए टोटल (नेशनल लेवल पर) लॉकडाउन लगाया था। इन 7 देशों में भारत ही ऐसा देश था, जहां सबसे कम संक्रमित (536) मिलने पर लॉकडाउन लगा दिया गया था। भारत सरकार को इस कदम के लिए डब्ल्यूएचओ से तारीफ भी मिली थी और कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार की तैयारियों को ट्रैक करने वाले ऑक्सफोर्ड गवर्मेंट यूनिवर्सिटी ट्रैकर ने उसे 100 में से 100 पॉइंट्स भी दिए थे।
लेकिन, अब इन 7 देशों में भारत ही एकमात्र देश है, जहां नए कोरोना संक्रमितों की संख्या का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। बाकी 6 देशों में हर दिन सामने आने वाले नए मामलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। इन 6 देशों ने कोरोना संक्रमण का फैलाव काफी हद तक रोक लिया है और इसीलिए इन देशों में पिछले दिनों धीरे-धीरे लॉकडाउन खोलने के लिए प्रतिबंधों में ढील दी जाती रही है। भारत भी इसी तर्ज पर आज (1 जून) से लॉकडाउन खोलने की प्रोसेस शुरू कर रहा है, जबकि यहांहर दिन नए मामलों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
इन सभी 7 देशों में लॉकडाउन लगने के 2-2 महीने पूरे हो चुके हैं। ऐसें में इन देशों में लॉकडाउन लगने के पहले और लॉकडाउन लगने के 2 महीने बाद नए संक्रमितों की संख्या में क्या बदलाव आया?, कहां लॉकडाउन सफल रहा?, कौन महामारी को फैलने से रोकने में कामयाब रहा? और कौन इन मोर्चों में नाकाम रहा?, इन्हीं सवालों के जवाब खोजती हमारी एक रिसर्च रिपोर्ट…
इटली, फ्रांस और जर्मनी में लॉकडाउन के नतीजे सबसे अच्छे रहे, भारत रेस में सबसे पीछे रह गया
1. इटली, फ्रांस और जर्मनी में लॉकडाउन के 2 महीने बाद नए मामलों की संख्या लॉकडाउन के पहले आ रहे मामलों की संख्या से कम हो चुकी है। जर्मनी रेस में सबसे आगे है। यहां लॉकडाउन के पहले की तुलना में 2 महीने बाद 9 गुना मामले कम आ रहे हैं। इसी तरह फ्रांस में नए मामलों की संख्या आधी हो गई है। इटली में भी डेढ़ गुना मामले घटे हैं।
2. स्पेन और ब्रिटेन में लॉकडाउन के 2 महीने बाद नए मरीजों की संख्या लॉकडान के पहले मिल रहे मरीजों की संख्या से तो ज्यादा है लेकिन यह 1 महीने पहले की तुलना में क्रमश: 3 गुना और 2 गुना कम हो गई है।
3. रूस में लॉकडाउन के बाद लगातार मामले बढ़े हैं। 2 महीने बाद यहां हर दिन 8 हजार से ज्यादा नए केस सामने आ रहे हैं। यह लॉकडाउन के पहले की तुलना में 45 गुना ज्यादा हैं और लॉकडाउन के 1 महीने बाद की तुलना में महज सवा गुना ज्यादा। लेकिन रूस में 6 से 12 मई के बीच हर दिन 10 हजार से ज्यादा केस आ रहे थे, इसकी तुलना में यहां लॉकडाउन के 2 महीने बाद मामले घट रहे हैं।
4. भारत में जब लॉकडाउन लगा तब हर दिन औसतन 81 मामले आ रहे थे। लॉकडाउन के एक महीने बाद यह 21 गुना बढ़ गए। यही नहीं लॉकडाउन के एक महीने बाद की तुलना में 2 महीने बाद हर दिन मिलने वाले मरीजों की संख्या 4 गुना हो गई।
लॉकडाउन के 2 महीने बाद भारत में सबसे ज्यादा मौतें हो रहीं
लॉकडाउन के 1 महीने बाद सभी देशों में मौतों की संख्या लॉकडाउन के पहले की तुलना में बढ़ीं। लेकिन 1 महीने बाद की तुलना में 2 महीने बाद हर दिन होने वाली मौतों की संख्या 7 में से 5 देशों में घट गई। लॉकडाउन के 1 महीने बाद की तुलना में 2 महीने बाद फ्रांस में 6 गुना, जर्मनी, यूके में 5 गुना और इटली, स्पेन में 3 गुना मौतें कम हुईं। रूस में यह संख्या डेढ़ गुना बढ़ गई। वहीं भारत में इसमें सबसे ज्यादा इजाफा हुआ। भारत में मौतें 3 गुना बढ़ गईं।
अमेरिका, ब्राजील में नेशनल लेवल परलॉकडाउन नहीं लगा,तुर्की में सिर्फ 2 और 4 दिनों के लिए लॉकडाउन रहा
1.अमेरिका में राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन नहीं है। यहां जब मामले बढ़ने लगे थे तो अलग-अलग प्रांतों के गवर्नरों ने अपने-अपने राज्य में लॉकडाउन लगाना शुरू किया। यहां 19 मार्च से लेकर 3 अप्रैल तक 17 राज्य स्टे एट होम पॉलिसी लागू कर चुके थे। यही कारण भी है कि अमेरिका में 3 अप्रैल के बाद से हर दिन आ रहे नए मामलों की संख्या अब कम हो रही है। अप्रैल के पहले हफ्ते में यहां हर दिन 30 हजार से ज्यादा मामले आ रहे थे, जो अब 20 से 25 हजार के बीच है।
2.अमेरिका की तरह ही ब्राजील में भी लॉकडाउन नहीं है। यहां राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो लॉकडाउन के खिलाफ रहे हैं। लेकिन यहां भी अलग-अलग राज्यों ने अपने स्तर पर लॉकडाउन लगा रखा है। हालांकि इसमें बहुत देर हुई। 5 मई को सबसे पहले ब्राजील के साओ लुईस शहर में लॉकडाउन लगाया गया। इसके बाद फोर्टालिजा समेत कई नाम जुड़ते गए और फिर देश के 27 में से कई राज्यों ने लॉकडाउन लगाना शुरू किया। फिलहाल यहां हर दिन 30 हजार केस सामने आ रहे हैं।
3.तुर्की में 16 मार्च को स्कूलों को बंद किया गया। कैफे, स्पोर्ट्स, एंटरटेनमेंट वैन्यू भी बंद किए गए। इसके बाद 11-12 अप्रैल और 18-19 अप्रैल को यहां 2-2 दिन के लॉकडाउन लगे। हाल ही में 23-26 मई तक ईद के मौके पर 4 दिन का लॉकडाउन लगा। यहां लंबे समय तक टोटल लॉकडाउन नहीं रहा। बावजूद इसके यहां नए मामलों की संख्या हर दिन कम हो रही है। अप्रैल के दूसरे-तीसरे हफ्ते में यहां हर दिन 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे थे, जबकि अब यह 1000 के आसपास सीमित हैं।
कोरोना के सबसे ज्यादा असर वाले 7 देशों में किस तरह लगा लॉकडाउन और स्टेटस क्या है?
1. रूस
कुल कोरोना संक्रमित: 2.86 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 27 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: रूस में 27 मार्च को कोरोना संक्रमितों की एक हजार के पार हुई थी। 28 मार्च से यहां लॉकडाउन लगा दिया गया। इसके बाद जब मामले 2.2 लाख पार हो गए तब राष्ट्रपति पुतिन ने लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील का एलान कर दिया। 12 मई से रूस में सभी सेक्टर में काम दोबारा शुरू करने की परमिशन दी गई। हालांकि यहां भीड़ इकट्ठे करने वाले कार्यक्रमों पर अभी भी प्रतिबंध जारी है।
2. स्पेन
कुल कोरोना संक्रमित: 2.86 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 27 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: स्पेन में 5 हजार संक्रमित मिलने के बाद ही 14 मार्च से लोगों के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी। यहां लोग सिर्फ जरूरी चीजें और जरूरी काम से ही बाहर निकल पा रहे थे।
11 मई से देश के कई हिस्सों में लॉकडाउन के नियमों में ढील दी गई। इसके बाद आउटडोर कैफे, रेस्टोरेंट 50% क्षमता के साथ खुलने लगे। छोटी दुकानों को खोला जाने लगा। एक जगह पर 10 लोगों तक के इकट्ठे होने की परमिशन मिली। फिलहाल कुछ राहतों के साथ स्पेनमें लॉकडाउन 21 जून तक बढ़ सकता है।
3. ब्रिटेन
कुल कोरोना संक्रमित: 2.72 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 38 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: ब्रिटेन में6 हजार मामले होने के बाद 23 मार्च से टोटल लॉकडाउन लगा दिया गया था। 13 मई से ब्रिटेन में लॉकडाउन में छूट मिलना शुरू हुई। जो लोग घर से काम नहीं कर पा रहे थे, वे ऑफिस जाने लगे। गार्डन सेंटर और गोल्फ जैसे स्पोर्ट्स सेंटरों को खोल दियागया। 1 जून से यहां स्कूल खोल दिए जाएंगे। अब यहां घर के बाहर 6 लोगतक इकट्ठे हो सकते हैं।
4. इटली
कुल कोरोना संक्रमित: 2.32 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 33 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: 22 फरवरी को इटली के वेनेटो और लोम्बॉर्डी में कुछ शहरों को लॉकडाउन किया गया था। इनके बाद उत्तरी हिस्से के कई शहरों में लॉकडाउन लगाया जाने लगा। 10 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ।
4 मई से इटली में लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी। 44 लाख लोग काम पर लौटे। रेस्टोरेंट और छोटी दुकानों को खोलने की परमिशन मिली। फ्युनरल में 15 लोगों तकइकट्ठे होने की छूट मिली।16 मई को प्रधानमंत्री कोंटे ने धीरे-धीरे लॉकडाउन खोलने की बात कही। इसके बाद 25 मई से यहां कुछ नियमों के साथ जिम, स्पोर्ट्स सेंटर और स्विमिंग पूल भी खोल दिए गए।
5. फ्रांस
कुल कोरोना संक्रमित: 1.88 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 28 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस:फ्रांस में 29 फरवरी को 5 हजार से ज्यादा की भीड़ पर बैन लगाया गया।17 मार्च से फ्रांस में टोटल लॉकडाउन हो गया। 2 महीने के अंदर ही लॉकडाउन नियमों में राहत भी दी जाना शुरू हो गई। 11 मई से यहां दुकानें और स्कूल खोले जाने लगे। 10 लोगों के इकट्ठे होने की छूट मिली। जून के पहले सप्ताह से यहां कैफे, रेस्टोरेंट और समुद्री किनारों को भी खोल दिया जाएगा।
6. इंडिया
कुल कोरोना संक्रमित: 1.85 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 5 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: 3 मार्च को दिल्ली सरकार ने सबसे पहले स्कूलों को बंद करने का ऐलान किया। 10 मार्च के बाद कई राज्यों में स्कूल, कॉलेज को बंद करने के आदेश दिए गए। 15 मार्च से ही धार्मिक स्थलों को बंद करने के आदेश आए। 22 मार्च को एक दिन के लिए पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसी दिन से देशभर के अलग-अलग शहरों में लॉकडाउन का ऐलान होने लगा। 25 मार्च से पूरे देश को ही लॉकडाउन कर दिया गया।
फिलहाल, यहां लॉकडाउन का चौथा फेज चल रहा है। यहां दूसरे फेज से ही प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी थी। फिलहाल यहां छोटी दुकानों औरशराब की दुकानों को खोलने की अनुमति है।7 दिन पहले से घरेलू उड़ानें भी शुरू हो चुकी हैं।और अब 1 जून से देश अनलॉक होना शुरू हो चुका है। इसके तहत अगले कुछ दिनों में धार्मिक स्थलों, सैलूनसमेत बाकीतमाम सेक्टर भी धीरे-धीरे फिर से खोले जाएंगे।
7. जर्मनी
कुल कोरोना संक्रमित: 1.83 लाख+, कोरोना से कुल मौतें: 8 हजार+
लॉकडाउन स्टेटस: 10 मार्च को जर्मनी के कई राज्यों ने 1000 से ज्यादा की भीड़ को बैन किया। 16 मार्च से स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए गए। 20 मार्च को जर्मनी के सभी राज्यों ने सोशल इवेंट और हर छोटी-बड़ी भीड़ पर पाबंदी लगाई। 23 मार्च से देश में टोटल लॉकडाउन लागू हुआ। 5 मई से यहांलॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील दी गई है। दूकानें फिर से खुलने लगी हैं। स्कूल्स खोल दिए गए हैं। जर्मन फूटबॉल लीग के मैच भी शुरू हो चुके हैं।
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