पहले हर घंटे 30 से ज्यादा फ्लाइट्स आती-जाती थीं, अब इनकी संख्या 2 ही रह गई, यात्रियों से ज्यादा कर्मचारी नजर आते हैं
देश में 25 मई से जब घरेलू उड़ानें फिर से शुरू हुईं, तो मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट के हिस्से 50 फ्लाइट्स आईं। पिछले 5 दिनों से यहां हर दिन 25 फ्लाइट्स उड़ान भरती हैं और इतनी ही लैंड करती हैं। हर दिन 700 से ज्यादा फ्लाइट्स के मूवमेंट वाले इस एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट्स की यह संख्या बहुत ही कम है।
जो भीड़ और भागदौड़ यहां पहले नजर आती थी, अब वैसा नजारा बिल्कुल दिखाई नहीं देता। औसतन हर घंटे 2 ही फ्लाइट होने के कारण एयरपोर्ट पर सन्नाटा पसरा होता है। हाल यह है कि कभी-कभी तो यात्रियों से ज्यादा एयरपोर्ट कर्मचारी नजर आ जाते हैं।
फेस शील्ड, मास्क या पीपीई किट पहने ये कर्मचारी एयरपोर्ट पर कोरोना से बचाव के लिए सभी नियमों का खुद तो पालन करते ही हैं, साथ ही यात्रियों से भी करवाते हैं। यहां कोरोना से बचाव के लिए कुछ नए तरीके भी इजाद किए गए हैं। ऐमें में हम हर दूसरे मिनट में एक फ्लाइट के मूवमेंट वाले देश के इस दूसरे सबसे व्यस्त एयरपोर्ट की कुछ लाइव तस्वीरें आपके लिए लाए हैं..
मुंबई एयरपोर्ट के अंदर लगे बैरिकेड, स्टील की रेलिंग, सीआईएसएफ के सुरक्षा कर्मियों के खड़े होने की जगह लगातार सैनेटाइज होती है। एयरपोर्ट की जिस सड़क से गाड़ियां गुजर रही हैं, उसे भी सैनेटाइज किया जा रहा है।
यहां एयरपोर्ट पर जहां यात्रियों को अपना बोर्डिंग पास और पहचान पत्र दिखाना होता है, वहां एक कारपेट बिछाया गया है। इस कारपेट पर सैनेटाइज किया जाने वाला लिक्विड है, जिससे कोई भी यात्री कारपेट पर कदम रखता है, तो उसके जूतों का निचला हिस्सा सैनेटाइज हो जाता है। इससे एयरपोर्ट के बाकी फर्श को यात्री के जूतों से फैलने वाले कोरोना से बचाया जा सकता है।
गेट पर ही एक पारदर्शी कांच का कैबिनबनाया गया है। यहां यात्री कांच के दूसरी ओर से पहचान पत्र दिखाते हैं।यहां पैसेंजर के बोर्डिंग पास की स्कैनिंग करने वाली छोटी सी एक मशीन रखी गई है। इन दोनों प्रक्रियाओं में पैसेंजर और एयरपोर्ट कर्मचारी एक-दूसरे को टच नहीं करते हैं।
एयरपोर्ट की मुख्य लॉबी में पहले की तरह ही एक बड़ी सी स्क्रीन पर फ्लाइट्स की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा इन्फॉर्मेशन काउंटर पर भी एयरपोर्ट कर्मचारी पहले की तरह ही जानकारी देते रहते हैं। फर्क बस इतना है कि यहां लोग एक-दूजे से पर्याप्त दूरी बनाकर खड़े होते हैं।
कम फ्लाइट्स होने के कारण भीड़ कम है। लोग सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान तो रखते हैं लेकिन कहीं-कहीं लोग झुंड में खड़े भी नजर आते हैं। ऐसा होने पर एयरपोर्ट कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी उन्हें दूर-दूर खड़े रहने या चलने की हिदायत देते नजर आते हैं।
मुंबई एयरपोर्ट का फूड कोर्ट कई तरह की वैरायटी के खाने-पीने की चीजों के लिए काफी मशहूर है। यहां आम दिनों में 3500 से ज्यादा पैसेंजर आते हैं। लेकिन फिलहाल महज 50 प्लाइट की मूवमेंट होने के कारण 300-350 यात्री ही फूड कोर्ट आ रहे हैं।
यहां के रिजर्वड लाउंज में पैसेंजर के बैठने की व्यवस्था बहुत दूर-दूर की गई है। दो लक्जरी सोफानुमा कुर्सियां साथ में भी हैं, लेकिन इनमें एक ही शख्स बैठ सकता है। जीवीके लाउंज की क्षमता 350 पैसेंजर के बैठने की है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग मैंटेन करने के लिए इसे 200 कर दिया गया है।
एयरपोर्ट की मुख्य लॉबी में ही गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, सीनियर सिटिजन्स को फ्लाइट तक छोड़ने और वहां से लाने के लिए बैटरी से चलने वाली छोटी कारें लाइन से खड़ी नजर आती हैं।
एयरपोर्ट पर उतरने वाले जिन यात्रियों के पास घर जाने का खुद का साधन नहीं है। उन्हें बहुत परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन की वजह से एयरपोर्ट के बाहर न प्रीपेड टैक्सी मिल रही है, न ही ओला-ऊबर की कारें चल रही हैं। दूर-दूर तक ऑटो-रिक्शा भी नहीं दिखाई दे रहे।
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