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भोपाल में कुपोषित बच्चे को बस स्टॉप पर छोड़ गई मां, नासिक-नांदेड़ में पानी के लिए संघर्ष करती महिलाएं

लॉकडाउन में ‘कुपोषण की कुप्रथा’ की रूह कंपा देने वाली तस्वीर सामने आई है। पौधे की नन्हीं टहनियों सा दिख रहा यह मासूम सिर्फ 10 दिन का है। वजन मात्र 1.3 किलोग्राम। बागसेवनिया पुलिस को यह होशंगाबाद रोड पर एक कार शो-रूम के सामने बने बीआरटीएस बस स्टॉप पर रोता-बिलखता मिला। आसपास मां को खोजा, लेकिन वह नहीं मिली। बच्चे की कमजोर हालत देख पुलिस बिना देर किए उसे जेपी अस्पताल ले गई। डॉक्टरों ने बताया- बच्चा कुपोषित है और भूखा है। उसके शरीर पर गहरी खरोंचें भी हैं। उसे जेपी के पीआईसीयू में भर्ती किया है।

घर लौटने के लिएमजदूरों का संघर्ष जारी है

तस्वीर गुजरात के सूरत की है। यहां लॉकडाउन के दौरान कर्मभूमि से जन्मभूमि की ओर लौटने का सिलसिला जारी है। चलने में लाचार मां को गोद में उठाकर स्टेशन ले जाता युवक।

देश के पहले जुड़वां जो कोरोना को हराने में कामयाब हुए

तस्वीर गुजरात के वडनगर की है। यहां 16 मई को जन्में जुड़वां भाई-बहन ने कोरोना को हरा दिया है। इनकी मां कोरोना पॉजिटिव थी। पैदा होते ही बच्चे भी संक्रमित हो गए। दोनों को शुक्रवार को पहली बार मां की गोद नसीब हुई। ये देश के पहले जुड़वां है, जो कोरोना को हराने में कामयाब रहे हैं। इलाज कर रहे डॉक्टरों ने ही बच्चों का नाम सुवास और स्वरा रखे हैं। डॉक्टरों ने कहा कि अब तीनों ठीक हो चुके हैं। अभी तक मां-बच्चे अस्पताल में अलग-अलग थे।

कोरोनाकाल में बदलते रिवाज

तस्वीर मध्य प्रदेश के उज्जैन की है। यहांमंगलनाथ मंदिर परिसर में शुक्रवार को सुबह 10 बजे चिंतामन नगर की शिवानी और धार निवासी गोविंद का विवाह हुआ। इस विवाह में शासन के निर्देशानुसार 10 लोगों से भी कम 8 लोग ही शामिल हुए। शादी में भीड़ जमा नहीं हो इसलिए पुलिस भी तैनात रही।

ट्रेन रुकने से पहले ही पानी और खाने के लिए हाथ फैलाते मजबूर मजदूर

तस्वीर मध्य प्रदेश के बीना की है। यहां स्थानीय रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में श्रमिक ट्रेनें निकल रही है। इन ट्रेनों में यात्रा कर रहे यात्रियों की स्थिति दयनीय है। जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंचती है तो पानी की बॉटल एवं खाद्य सामग्री को देख कर यात्री ट्रेन के रुकने से पहले ही पानी की बॉटल के लिए हाथ निकालने लगते हैं। गौरतलब है कि स्थानीय रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को आईआरसीटीसी के द्वारा भोजन, ब्रेक फास्ट एवं पानी की बॉटल का इंतजाम किया जा रहा है।

पानी के लिए सीढ़ी के सहारे सूखी बावड़ी में उतरना पड़ता

तस्वीर नांदेड़ (महाराष्ट्र) जांभलीतांडा गांव की है। गांव से करीब दो किमी दूर एक बावड़ी है। यह करीब 50 फीट गहरी है। इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी रिसता है। लोग जान जोखिम में डालकर बावड़ी में उतरते हैं और परिवार की प्यास बुझाने के लिए एक-एक घड़ा भरते हैं।

सूरज की तपती गर्मी पानी के लिए दस किमी तक का सफर

तस्वीर महाराष्ट्र के नासिक की है।सूरज की तपती गर्मी। कोरोना संक्रमण का डर और पानी की किल्लत। पानी की तलाश में महिलाएं पानी भरने के लिए 10 किमी दूर चलकर जाती है।

तपती गर्मी से मिली राहत

तस्वीर चंडीगढ़ की है। यहां शुक्रवार सुबह करीब एक घंटा हुई बारिश हुई। तापमान गिरके 32 डिग्री पर आ गया। जो सामान्य से 7 डिग्री कम है।

गर्मी में राहत के बादल

बादलों से घिरी तस्वीर मुंबई की है। देश को भिगोने के लिए मानसून दहलीज तक आ चुका है। यह केरल के तटीय इलाकों में अरब सागर में पहुंच चुका है और समुद्री इलाकों में भारी बारिश हो रही है।

नौतपा में बारिश, मानसून जैसीपरेशानी

तस्वीर हरियाणा के सिरसा की है। 25 मई से शुरू हुए नौतपा में पड़ रही भीषण गर्मी से शुक्रवार की शाम को हुई तेज बरसात ने निजात दिला दी। बरसात से शहर में जलभराव हो गया। शहर के निचले इलाके पानी से भर गए। करीब पांच घंटे बाद पानी की निकासी हो पाई।



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Mother left for malnourished child at bus stop in Bhopal, women struggling for water in Nashik-Nanded


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