Skip to main content

खुशहाल जीवन और मधुर रिश्तों के लिए अच्छी सोच का संकल्प लें क्योंकि हम जो सोचते हैं वह सिद्ध होता है

सॉल्यूमन आईलैंड के बारे में कहा जाता है कि वहां किसी वृक्ष को खत्म करना हो तो वे उसको काटते नहीं हैं, बल्कि इर्द-गिर्द खड़े होकर उसे कोसते हैं, जिससे पेड़ धीरे-धीरे सूख जाता है। इसलिए कहते हैं कि जो हम सोचते हैं वह सिद्ध होता है। सबसे शक्तिशाली बात है कि हम परमात्मा की ऊर्जा का अपने चारों तरफ एक सर्कल बनाएं। हम सभी हाथ धो रहे हैं, अच्छी बात है।

लेकिन, आप कितनी बार भी हाथ धो लो, कितनी बार भी सैनिटाइज कर लो, हमें पता ही नहीं है कि फिर कहां हाथ लग रहा है। इसलिए परमात्मा की शक्तियां, परमात्मा की पवित्रता बहुत जरूरी है। हमारे चारों तरफ एक ऊर्जा सर्कल है। और संकल्प यह करना है कि इस सर्कल के अंदर कुछ भी प्रवेश नहीं कर सकता। इससे हम स्वयं को, परिवार को और देश को ऊर्जावान बनाएंगे।

यह जादू है। यह कोई भी कर सकता है।फिर हम संकल्प करें कि परमात्मा की पवित्रता और शक्तियों का हमारे चारों तरफ एक सर्कल है, जिसे आभामंडल कहते हैं। यह मेरा सुरक्षा कवच है। फिर एक संकल्प है, मैं सदा सुरक्षित हूं। सुबह उठते ही फोन देखने से पहले, हाथ धोने से पहले, किसी से बात करने से पहले हमारा पहला संकल्प यही होना चाहिए। क्योंकि सुबह के पहले विचार का असर पूरे दिन रहता है।

इसलिए हम कहते हैं, सुबह-सुबह किसका चेहरा देखा। मतलब कि सुबह की पहली सोच क्या थी। सुबह उठते ही पहले विचार ऐसे होने चाहिए- मैं शांत हूं, मैं शक्तिशाली आत्मा हूं, मेरा शरीर अच्छा है, परमात्मा की ऊर्जा के सर्कल में मेरा पूरा परिवार सुरक्षित है। दो मिनट दीजिए और इस सर्कल का मानसिक चित्रण लीजिए। फिर रात को सोने से पहले की आखिरी सोच भी यही होनी चाहिए।

जो आखिरी सोच होगी वो सारी रात काम करती है। और सुबह उठते ही हमारी पहली सोच भी वही बन जाती है। रात को यही सोचते-सोचते सो जाइए कि मैं सुरक्षित हूं। इस तरह ये दो समय तो तय हो गए। दिन में जब भी याद आ जाए, मन ही मन इस मंत्र को दोहराइए- मैं शक्तिशाली हूं, सुरक्षित हूं, स्वस्थ हूं, सब अच्छा चल रहा है।

ब्रह्माकुमारीज संस्था में हम हर एक घंटे के बाद एक मिनट के लिए रुकते हैं। उसमें हम इसे दोहराते हैं। सबसे महत्वपूर्ण समय खाने और पीने का है। मतलब हम दिन में तीन-चार बार खाना खा ही लेते होंगे और सात-आठ बार पानी पी लेते होंगे। दस-बारह बार तो यही हो गया। खाने और पानी पीने के समय इन्हें दोहराना इसलिए जरूरी है, क्योंकि इस समय आपके खाने और पानी में भी डर और चिंता की ऊर्जा है।

जो संकल्प हम भोजन में और पानी में डालते हैं, उसका हमारे मन पर सीधा असर होता है। कहा भी जाता है जैसा अन्न वैसा मन, जैसा पानी वैसी वाणी। मतलब मुंह में बिना अपना संकल्प डाले कुछ जाना नहीं चाहिए। अगर ये किसी ने एक हफ्ते कर लिया तो 100 प्रतिशत भय दूर होना शुरू हो जाएगा और आप सुरक्षित अनुभव करेंगे। यही इस समय सबसे ज्यादा जरूरी भी है।

अगर हम इसके साथ में भावनात्मक सुरक्षा को भी जोड़ देंगे तो आप हर तरह से सुरक्षित हो जाएंगे और दुनिया की किस्मत बदल जाएगी। अभी हमें उस वायरस को उकसाना नहीं है कि अभी आप और आने वाले हो, हमें पता है अभी आप और दो-तीन महीने रहोगे, हमें पता है आपके कारण हमारा बिजनेस खत्म हो जाएगा। बल्कि हमें ये सोचना है कि हमें पता है कि आप खत्म हो चुके हो। हमें पता है हम सुरक्षित हैं।

ऊपर दी गई सोच और संकल्प का विचार सिर्फ इस वायरस के लिए नहीं है। यह आपके जीवन जीने का तरीका बन जाएगा। क्योंकि संकल्प, मानसिक चित्रण और ध्यान खुशहाल जीवन के लिए और रिश्तों को मधुर बनाएं रखने के लिए बहुत जरूरी हैं।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
बी.के. शिवानी, ब्रह्माकुमारी


https://ift.tt/2TMEaTk

Comments