Skip to main content

25 साल में सबसे खतरनाक टिड्डी हमला; अब तक 4 राज्याें में 47 हजार 308 हेक्टेयर फसल चट, पाकिस्तान में इन्हें पकड़ने पर मिल रहे पैसे

देश के कई राज्याें पर मंडरा रही टिड्डियाें की आसमानी आफत काे वैज्ञानिकाें ने पिछले 25 सालाें में सबसे खतरनाक हमला बताया है। इस बार टिड्डियां भी अलग हैं। देश के टिड्डी चेतावनी संगठन के डिप्टी डायरेक्टर केएल गुर्जर के मुताबिक, ‘इस बार दल में युवा टिड्डियां हैं। ये अधिक दूरी तक, अधिक तेजी से उड़ती हैं।’ पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्राॅपिकल मटेरियाेलाॅजी के पर्यावरण विज्ञानी राॅक्सी मैथ्यू काेल ने कहा कि, इसकी शुरुआत 2019 के आखिर में हुई। हिंद महासागर में गर्म पानी था। इससे पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र और अरब क्षेत्र में खूब बारिश हुई। यह माैसम टिड्डियाें की आबादी बढ़ाने में अनुकूल साबित हुआ।

अभी तक टिड्डियां राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में 47 हजार 308 हेक्टेयर फसलों काे नुकसान पहुंचा चुकी हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि 355 स्थानों पर टिड्डियों पर नियंत्रण पाया जा चुका है। अभी सबसे बड़ा टिड्‌डी दल दौसा जिले में 5 गुणा 2 किमी आकार का है। यहां पर 50% नियंत्रण पाया जा चुका है। अचरज यह है कि इस बार टिड्डी शहरी इलाकाें में भी दिख रहीहैं।

टिड्डियाें ने जनवरी 2019 में यमन और सऊदी से उड़ान भरी

टिड्‌डी दल के हमलों का पूर्वानुमान बताने वाले संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी कीथ क्रेसमैन बताते हैं कि जनवरी 2019 में यमन और सऊदी अरब से टिड्डियाें की आंधी ने उड़ान भरनी शुरू की थी। जून-दिसंबर 2019 के बीच यह ईरान होते हुए भारत-पाकिस्तान की सीमा तक आ चुकी थी। दिसंबर 2019 तक यह दक्षिण अफ्रीका से भारत तक सारी रेतीली जमीन नाप चुकी थी। 2019 में भारत में मॉनसून अच्छा था, जो मददगार साबित हुआ। फरवरी 2020 तक ये गुजरात और राजस्थान में आक्रमण कर चुकी थीं और पूरे आसार थे कि जून 2020 में ये भारत पर फिर आक्रमण करेंगी।

पाकिस्तान में टिड्‌डी पकड़ने पर मिल रहे पैसे

पाकिस्तान में एक किलाे टिड्डी पकड़ने पर 20 रु. मिलते हैं। किसान एक रात में 7 टन तक टिड्डियां पकड़ रहे हैं। फिर यह मुर्गी दाना बनाने वाले प्लांट काे बेच दी जाती हैं। साेयाबीन में 45%, जबकि टिड्डियाें में 70% तक प्राेटीन हाेता है। साेयाबीन करीब 90 रुपए किलाे पड़ता है, जबकि टिड्डी मुफ्त के भाव मिल रही हैं।

सरकार ने टिड्डियों पर नियंत्रण के लिए यूके से किट मंगाई

केंद्र सरकार टिड्डी दलों पर नियंत्रण के लिए वायुसेना के हेलिकॉप्टराें का इस्तेमाल करेगी। हेलिकॉप्टरों में फिट करने के लिए सीडीए एटमाइजर किट यूके से मंगाई जा रही है। ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं। इसके साथ ही दुर्गम और ऊंचे पेड़ों पर टिड्‌डी दलों के नियंत्रण के लिए हवाई छिड़काव की भी तैयारी है। इसके लिए ड्रोन सेवाओं के टेंडर जारी कर दिए गए हैं।

महाराष्ट्र के संतरा किसान चिंता में

फिलहाल टिडि्डयों से फसल काे नुकसान पहुंचने का खतरा कम है, क्याेंकि रबी की फसल पहले ही काटी जा चुकी है। महाराष्ट्र के संतरा किसानाें ने चिंता जताई है, लेकिन वहां इनकी संख्या नियंत्रण लायक है। बड़ी समस्या तब हाेगी, जब ये प्रजनन करेंगी। इस समय राजस्थान में तीन से चार दल, मध्य प्रदेश में दाे या तीन दल हैं। एक छाेटा समूह महाराष्ट्र चला गया है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
पाकिस्तान में एक किलाे टिड्डी पकड़ने पर 20 रु. मिलते हैं। किसान एक रात में 7 टन तक टिड्डियां पकड़ रहे हैं।


https://ift.tt/2Xby0yb

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...