Skip to main content

ट्रम्प ने जून में होने वाली जी-7 समिट सितंबर तक टाली, अपने विमान में ही मीडिया को यह जानकारी दी; बैठक में भारत समेत 4 देशों को भी बुलाएंगे

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जून में होने वाली जी-7समिटटालने का फैसला किया है। उन्होंने शनिवार को अपने आधिकारिक प्लेनएयरफोर्स वन पर इस सम्मेलन से जुड़े सवालों के जवाब देते हुए इस बात की जानकारी दी। ट्रम्प ने कहा, ‘‘मैंने इस शिखर सम्मेलन के टालने का फैसला किया है। मुझे नहीं लगता है कि जी-7 दुनिया की मौजूदा स्थिति का सही ढंग से प्रतिनिधित्व करता है। यह देशों का बहुत पुराना समूह है।’’

ट्रम्प ने यह भी कहा,‘‘जी-7 के बदले एक विस्तारित सम्मेलन बुलाया जाएगा। इसमें भारत, रूस, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को भी आमंत्रित करना चाहेंगे। अब यह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के पहले या उसके बाद हो सकता है।’’

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होना था सम्मेलन

जी-7 में अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और इटली शामिल हैं। सभी सदस्य देश बारी-बारी से सालाना बैठक का आयोजन करते हैं। इस बार अमेरिका केकैंप डेविड में जी-7 सम्मेलन होना था। हालांकि, कोरोना की वजह से सदस्य देशों के नेताओं का व्यक्तिगत तौर पर आना मुमकिन नहीं था। ऐसे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जून में यह बैठक बुलाने का फैसला किया गया था।

इससे पहले अमेरिका में 2012 में जी-7 समिट हुई थी

आखिरी बार अमेरिका मेंयह समिट 2012 में हुई थी। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा नेमैरीलैंड के कैंप डेविड में सरकारीइमारत में समिट कराई थी। 2004 मेंपूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश नेजॉर्जिया केसी आइलैंडरिजॉर्ट में इसे आयोजित किया था। अगस्त 2019 मेंजी-7 समिट फ्रांस के बियारिट्ज शहर में हुईथी।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एयरफोर्स वन से कैनेडी स्पेस सेंटर पर उतरते हुए। इसी प्लेन में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने जी-7 सम्मेलन सितंबर तक टालने की जानकारी दी।


https://ift.tt/2XfhQnA

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...