Skip to main content

भारत-चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत का आज तीसरा राउंड, विवादित इलाकों से सैनिक हटाने पर चर्चा होगी

भारत-चीन में चल रहे तनाव के बीच आज लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की तीसरे राउंड की बातचीत होगी। भारत की ओर से 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल होंगे। यह मीटिंग लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चुशूल सेक्टर में भारतीय इलाके में सुबह 10.30 बजे रखी गई है। इसमें पूर्वी लद्दाख की विवाद वाली जगहों से सैनिक हटाने की प्रक्रिया तय करने पर बात होगी। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।

दोनों देशों के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की इस महीने तीसरी और 15 जून को गलवान में हुई झड़प के बाद दूसरी मीटिंग होगी। पिछली 2 बैठकों में भी तनाव कम करने और विवादित इलाकों से सैनिक हटाने पर चर्चा हुई थी।

पिछली 2 मीटिंग की डिटेल
पहली मीटिंग
कब हुई:
6 जून
कहां हुई: एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में।
क्या बात हुई: शांतिपूर्ण तरीके से विवाद सुलझाकर रिश्ते आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। गलवान वैली के पास विवादित इलाकों से धीरे-धीरे सैनिक हटाने पर सहमति बनी।

दूसरी मीटिंग
कब हुई: 22 जून
कहां हुई: एलएसी पर चीन की तरफ मोल्डो में।
क्या बात हुई: भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो इलाके से चीनी सैनिकों को हटाने की मांग की। गलवान में हुई हिंसक झड़प पर नाराजगी जाहिर की। भारत ने चीन से मांग रखी कि वह लद्दाख में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर उस लेवल पर ले जाए जो अप्रैल में था।

15 जून को झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले 7 हफ्ते से तनाव की स्थिति है। इस बीच 15 जून को गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों में हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। चीन के भी 40 सैनिक मारे जाने की रिपोर्ट थी, हालांकि उसने यह कबूला नहीं।

भारत ने लद्दाख में सैनिक बढ़ाए, लड़ाकू विमान भी तैनात
गलवान की घटना के बाद मोदी सरकार ने सेना को फ्री हैंड देने का ऐलान कर दिया था। पिछले 2 हफ्ते में आर्मी ने हजारों जवानों को लद्दाख बॉर्डर पर भेजा है। एयरफोर्स ने भी एयर डिफेंस सिस्टम और लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि गलवान की घटना के लिए पूरी तरह चीन जिम्मेदार है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
सोमवार का फोटा लेह का है, चीन के साथ तनाव को देखते हुए वायुसेना ने लद्दाख में लड़ाकू विमान तैनात कर दिए हैं।


https://ift.tt/38jHLOP

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...