Skip to main content

वैज्ञानिकों ने बना ली रंगीन कपास; केमिकल से कपड़े रंगने की जरूरत नहीं, शरीर-पर्यावरण दोनों सुरक्षित

ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने रंगीन कपास को विकसित करने में सफलता पाने का दावा किया है। उनका कहना है कि इस रिसर्च से अब कपड़ाें में रासायनिक रंगाें के इस्तेमाल की जरूरत नहीं पड़ेगी। कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने कहा कि हमने कपास के आणविक रंग के जेनेटिक कोड को पाने में सफलता हासिल कर ली है।

फिलहाल हमने अलग-अलग रंगों के पौधों के टिश्यू काे तैयार कर लिया है। अब इसे खेतों में उगाया जा रहा है। अब हम ऐसे प्राकृतिक कपास की किस्म तैयार कर रहे हैं, जिसके धागों से बने कपड़ाें में सिलवट नहीं पड़ेगी और उसे स्ट्रैच करना भी आसान हाेगा। इससे सिंथेटिक कपड़ाें का उपयाेग कम करने में आसानी हाेगी।

दुनियाभर में अभी 60% से ज्यादा पॉलिएस्टर कपड़ों का निर्माण हो रहा है
वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनियाभर में अभी 60% से ज्यादा पॉलिएस्टर कपड़ों का निर्माण हो रहा है, जो 200 सालों तक नष्ट नहीं होते। साथ ही एक किलो कपड़े को रंगने के लिए एक हजार लीटर पानी बर्बाद होता है। अब इस कपास से बने धागे को रासायनिक रंगों से रंगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही यह शरीर व पर्यावरण के अनुकूल होंगे।

पाैधे खुद ही अलग-अलग कलर वाले कपास पैदा करेंगे

रिसर्च टीम के प्रमुख काेलिन मैकमिलन ने कहा कि हमने कपास के आणविक जेनेटिक कलर काेड काे इस प्रकार राेपित किया, जिससे पाैधे खुद ही अलग-अलग कलर वाले कपास पैदा करेंगे। हमने तंबाकू के पाैधे में इसका प्रयाेग किया तो पत्तियाें में रंगीन धब्बे उभर आए। तब हमें यह विचार आया कि क्याें न जीन में बदलाव कर हम इसे कपास के रूप में इस्तेमाल करें।

यह रिसर्च वैश्विक स्तर पर टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज में बड़ा बदलाव ला सकती है, क्योंकि अभी हम जो फाइबर तैयार कर रहे हैं, वह बायोडिग्रेडेबल और रिन्युएबल तो है मगर रंगीन नहीं है।

भारत में भी काफी प्रयोग लेकिन सफलता भूरे व हरे रंग में ही मिल पाई
भारत में भी रंगीन कपास को लेकर काफी प्रयोग हुए। वैज्ञानिकों को भूरे और हरे रंग के अलावा अन्य कलर पाने में सफलता नहीं मिली। हालांकि मप्र, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में इस पर रिसर्च अभी जारी है। नॉर्दर्न इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन ने रंगीन कपास के 15 पेटेंट भी हासिल किए हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ने कहा कि हमने कपास के आणविक रंग के जेनेटिक कोड को पाने में सफलता हासिल कर ली है।


https://ift.tt/2NCiiGL

Comments

Popular Posts

कश्मीर में घुसपैठ के नए रास्ते ढूंढ रहे हैं आतंकी, पहली बार द्रास में नियंत्रण रेखा पर मिले लॉन्च पैड, इंटेलिजेंस के मुताबिक 4 आतंकी यहां से घुसपैठ कर चुके हैं

पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौजूद आतंकवादी भारत में घुसपैठ के नए रूट्स ढूंढ रहे हैं। सुरक्षाबलों की ताजा इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, नए इंफिलट्रेशन रूट्स ढूंढने के अलावा लॉन्च पैड पर मौजूद आतंकियों की संख्या में कमी आई है। भास्कर के पास इंटेलिजेंस की वो रिपोर्ट हाथ लगी है जिसमें आतंकी घुसपैठ और लॉन्च पैड से जुड़ी पूरी जानकारी है। अप्रैल 2020 में 465 आतंकी जम्मू कश्मीर के अलग-अलग सेक्टर से सटी सरहदों के उस पार मौजूद थे। जबकि मई में इनकी संख्या 9 फीसदीघटकर 428 हो गई है।पिछले साल मई में यहसंख्या 439 थी, यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल घुसपैठ की फिराक में मौजूद आतंकी कम हुए हैं। द्रास सेक्टर का दोमेल आतंकवादियों के नए लॉन्च पैड के तौर पर सामने आया है। इंटेलिजेंस के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिद्दीन के 16 आतंकी पीओके से दोमेल में घुसपैठ की प्लानिंग कर रहे थे। इनपुट के मुताबिक, 4 आतंकी घुसपैठ कर भी चुके हैं। इंटेलिजेंस के मुताबिकपीओके से दोमेल में चार आतंकी घुसपैठ कर चुके हैं। कश्मीर इलाके में केरन, तंगधार और माच्छिल सेक्टर और जम्मू के पुंछ, भिंबर गली और कृष्ण...