Skip to main content

आईसीयू के काेराेना मरीजों को लगने वाला हेपरिन इंजेक्शन 50% महंगा, केंद्र सरकार ने लिया फैसला

केंद्र सरकार ने हेपरिन नाम के एक इंजेक्शन की कीमत 50% बढ़ाने का फैसला किया है। खास बात यह है कि यह इंजेक्शन आईसीयू में भर्ती काेराेना मरीजों काे भी दिया जा रहा है। फेफड़ों में जमे खून के थक्के खत्म करने के लिए यह इंजेक्शन मरीजों काे दिया जाता है।

नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने हेपरिन की अधिकतम कीमत 50% बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह इंजेक्शन कई कंपनियां बना रही हैं। इस फैसले के बाद ये कंपनियां मौजूदा कीमत से 50% ज्यादा कीमत वसूल सकेंगी। अलग-अलग कंपनियों के इंजेक्शन की कीमतें अलग-अलग हैं।

एनपीपीए की चेयरमैन शुभ्रा सिंह ने कहा कि यह सही है कि यह इंजेक्शन कोविड मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन वर्ष 2018 से इसके रॉ मैटेरियल (एपीआई) की कीमत 200 फीसदी तक बढ़ चुकी है। इसके बावजूद कीमत नहीं बढ़ी थी। दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एनपीपीए ने इसकी अधिकतम कीमत बढ़ाने का निर्णय लिया है।

चीन में नया स्वाइन फ्लू वायरस मिला, यह महामारी शुरू कर सकता है
उधर, काेराेना के कहर के बीच चीन के शाेधकर्ताओंकाे एक नए तरह का स्वाइन फ्लू वायरस मिला है। सूअरों में मिलने वाला यह वायरस इंसानों काे संक्रमित कर सकता है। इसमें भी भविष्य में नई महामारी शुरू करने की क्षमता दिख रही है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस से तत्काल काेई वैश्विक स्वास्थ्य जोखिम नहीं है। अमेरिकी साइंस जर्नल पीएनएएस में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार चीन में 2011 से 2018 तक 30 हजार सुअरों पर किए अध्ययन में यह वायरस सामने आया।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने हेपरिन की अधिकतम कीमत 50% बढ़ाने का निर्णय लिया है। (फाइल)


https://ift.tt/2ZoVpMz

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...