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Showing posts from May, 2020

आईएनएस जलाश्व 700 भारतीयों को वापस लाने कोलंबो पहुंचा, इससे पहले 1286 लोगों को वापस ला चुका है

विदेशों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी के लिए केंद्र सरकार समुद्र सेतु मिशन और वंदे भारत मिशन चला रही है। रविवार को नौसेना का आईएनएस जलाश्व समुद्र सेतु परियोजना के दूसरे चरण के तहत श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पहुंचा। यह सोमवार देर शाम वहां रवाना होगा और 700 भारतीयों को लेकर तमिलनाडु के तुतीकोरीन आएगा। इसके बाद यह एक बार फिर भारतीयों को लाने के लिए मालदीव और बंदर रवाना होगा। जलाश्व अब तक विदेशों से 1286 लोगों को वापस ला चुका है। कोलंबो में भारतीय दूतावास को जलाश्व से भारतीयों की वापसी से जुड़े काम पूरा करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसमें श्रीलंका की नौसेना और स्थानीय अधिकारी भी मदद करेंगे। जलाश्वर इससे पहलेभी मालदीव की राजधानी माले से दो बार भारतीयों को लेकर वापस लौटा था। जलाश्व पर मौजूदा नौसैनिकों को पीपीई किट उपलब्ध करवाया गया है। जहाज को तीन जोन में बांटा गया आईएनएस के एक्सक्यूटिव ऑफिसर गौरव दुर्गापाल ने बताया कि लोगों को लाने में नेवल हेडक्वार्टर कमांड की ओर से जारी प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। जहाज को तीन जोन में बांटा गया है। रेड जोन में वापस लाए जाने वाले सभी लोगों

481 अंक ऊपर खुला बीएसई, अब तक की ट्रेडिंग के दौरान 910 अंक तक ऊपर पहुंचा; निफ्टी में 265 पॉइंट ऊपर की बढ़त

सप्ताह में आज सोमवार को कारोबार के पहले दिन बीएसई 481.95 अंक ऊपर और निफ्टी 146.55 पॉइंट की बढ़त के साथ खुला। आज बीएसई में उछाल दिख रहा है। शुरुआती ट्रेडिंग के दौरान910.86 अंकों तक की बढ़त देखने को मिली है। इससे पहले शुक्रवार बीएसई और निफ्टी बढ़त के साथ बंद हुए थे। उस दिन बीएसई 159.3 अंक नीचे और निफ्टी 67.90 पॉइंट की गिरावट के साथ खुला था, लेकिन दिनभर की ट्रेडिंग के दौरान बीएसई 279.93 अंक तक ऊपर जाने में कामयाब रहा। कारोबार के अंत में बीएसई 223.51 अंक ऊपर 32,424.10 पर और निफ्टी 90.20 पॉइंट ऊपर 9,580.30 पर बंद हुआ। दुनियाभर के बाजार गिरावट के साथ बंद शुक्रवार को दुनियाभर के ज्यादातर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अमेरिकी बाजार डाउ जोंस 0.07 फीसदी की गिरावट के साथ 17.53 अंक नीचे 25,383.10 पर बंद हुआ था। वहीं, अमेरिका के दूसरे बाजार नैस्डैक 1.29 फीसदी बढ़त के साथ 120.88 अंक ऊपर 9,489.87 पर बंद हुआ था। दूसरी तरफ, एसएंडपी 0.48 फीसदी बढ़त के साथ 14.58 पॉइंट ऊपर 3,044.31 पर बंद हुआ था। चीन का शंघाई कम्पोसिट 1.97 फीसदी बढ़त के साथ 56.13 अंक ऊपर 2,908.48 पर बंद हुआ था। इधर इटली, फ्रां

वॉशिंगटन समेत अमेरिका के 40 शहरों में कर्फ्यू; व्हाइट हाउस पर प्रदर्शन के दौरान ट्रम्प को अंडरग्राउंड बंकर में ले जाना पड़ा था

अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के मामले में विरोधबढ़ता जा रहा है। राजधानी वॉशिंगटन डीसी समेत 40 शहरों मेंकर्फ्यू लगाया जा चुका है। रविवार रात को भी प्रदर्शनकारियों नेव्हाइट हाउस के सामने काफी प्रदर्शन किया, लिहाजा सुरक्षाबलोंको आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक,शुक्रवार को व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शनों के दौरान राष्ट्रपतिडोनाल्ड ट्रम्प को कुछ देर के लिए अंडरग्राउंड बंकर में ले जाना पड़ा था। न्यूज चैनल सीएनएन के मुताबिक, वॉशिंगटन समेत 15 शहरोंमें करीब 5 हजार नेशनल गार्ड्स की तैनाती की गई है। जरूरतपड़ने के लिहाज से 2 हजार गार्ड्स को मुस्तैद रहने को कहागया है। व्हाइट हाउस पर सैकड़ों प्रदर्शनकारी जुटने से लिया फैसला न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक व्यक्ति के हवाले से रिपोर्ट छापी। इसकेमुताबिक, शुक्रवार को व्हाइट हाउस पर सैकड़ों की तादाद मेंप्रदर्शनकारी जुटे। सुरक्षा के लिहाज से ट्रम्प को एक घंटे से कमवक्त के लिए एक अंडरग्राउंड बंकर में ले जाया गया।प्रदर्शनकारियों के पीछे हटाने में सीक्रेट सर्विस और यूनाइटेडस्टेट्स पार्क पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। अखबार के

पठानकोट में एक फकीर ने गरीबों में मास्क और राशन बांटा; दिल्ली में वॉलपेंटिंग बनाकर किया काेरोना वॉरियर्स को सलाम

लॉकडाउन अनलॉक के साथ ही उम्मीदों की किरण नजर आने लगी है।आज सेहमें नई उड़ान भरनी है, ताकि अर्थव्यवस्था संभले। ऊपर दी गई फोटो राजस्थान के नागौर स्थितकुचामन सिटी की है। देश में 68 दिन का लॉकडाउन खत्म हो गया है। अनलॉक-1 के पहले दिन आज फिर से जिंदगी पटरी पर लौटने वाली है। हर तबकाकाम में गति लाने में जुटेगा। सूर्य की गतिमान आभा के साथ ऊंचाइयों की उड़ान भरने वाले परिंदे भी हमें इस तस्वीर से यही संदेश दे रहे हैं कि उठो, जागो, क्योंकि हर रोज जीतने के लिए हमें फिर से उड़ान भरनी है। भास्कर भी यही उम्मीद और कामना करता है कि हम सब अपनी मेहनत व काबिलियत से फिर शिखर को छू लेंगे और असीमित खुशियां वापस लाएंगे। आज से हमें उड़ान तो भरनी है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के साथ। असमंजस: जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां ... यह तस्वीर गुजरात केसूरत शहर की है।यहां जगन्नाथ रथयात्रा की तैयारियां चल रही हैं, लेकिन यात्रा निकलेगी या नहीं इस पर असमंजस है। इस्कान के जनरल मैनेजर सरोज प्रभु ने बताया कि मंदिर की तरफ से तैयारियां चल रही हैं, लेकिन रथयात्रा निकालने पर अभी निर्णय नहीं लिया गया है। रथ को खींचने के लिए कम से कम 5

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के 6 डोज लेने से 80% हेल्थकेयर वर्कर संक्रमण से बचे, 4 डोज के बाद रिस्क घटने लगता है

कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) के इस्तेमाल को लेकर किए गए रिसर्च में अच्छे नतीजे आए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की स्टडी के मुताबिक एचसीक्यू के 6 या ज्यादा डोज लेने वाले 80% हेल्थकेयर वर्कर इन्फेक्शन से बच गए। रिसर्च के मुताबिक एचसीक्यू के 4 डोज लेने के बाद इन्फेक्शन का रिस्क घटने लगता है। लेकिन, बचाव के लिए पीपीई किट और दूसरे उपाय भी जरूरी हैं। हेल्थकेयर वर्कर्स को दो ग्रुप- कोरोना पॉजिटिव और कोरोना निगेटिव में बांटकर ये रिसर्च की गई। पहले ग्रुप में 378 और दूसरे में 373 लोग शामिल थे। स्किन रैशेज जैसे साइड इफेक्ट भी दिखे दोनों ग्रुप में एचसीक्यू के तीन साइड इफेक्ट लगभग एक जैसे थे। दोनों ग्रुप के लोगों में उल्टी, सिरदर्द और दस्त की शिकायत सामने आई। कुछ लोगों को स्किन रैशेज भी हो गए। आईसीएमआर ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि हेल्थकेयर वर्कर्स में इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होने की वजह से दुनियाभर में चिंता है। ऐसे में इस स्टडी की अहमियत और बढ़ गई है। डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते एचसीक्यू का ट्रायल रोका विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एचसीक्यू दवा के

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के 6 डोज लेने से 80% हेल्थकेयर वर्कर संक्रमण से बचे, 4 डोज के बाद रिस्क घटने लगता है

कोरोना से बचाव के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) के इस्तेमाल को लेकर किए गए रिसर्च में अच्छे नतीजे आए हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की स्टडी के मुताबिक एचसीक्यू के 6 या ज्यादा डोज लेने वाले 80% हेल्थकेयर वर्कर इन्फेक्शन से बच गए। रिसर्च के मुताबिक एचसीक्यू के 4 डोज लेने के बाद इन्फेक्शन का रिस्क घटने लगता है। लेकिन, बचाव के लिए पीपीई किट और दूसरे उपाय भी जरूरी हैं। हेल्थकेयर वर्कर्स को दो ग्रुप- कोरोना पॉजिटिव और कोरोना निगेटिव में बांटकर ये रिसर्च की गई। पहले ग्रुप में 378 और दूसरे में 373 लोग शामिल थे। स्किन रैशेज जैसे साइड इफेक्ट भी दिखे दोनों ग्रुप में एचसीक्यू के तीन साइड इफेक्ट लगभग एक जैसे थे। दोनों ग्रुप के लोगों में उल्टी, सिरदर्द और दस्त की शिकायत सामने आई। कुछ लोगों को स्किन रैशेज भी हो गए। आईसीएमआर ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि हेल्थकेयर वर्कर्स में इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा होने की वजह से दुनियाभर में चिंता है। ऐसे में इस स्टडी की अहमियत और बढ़ गई है। डब्ल्यूएचओ ने पिछले हफ्ते एचसीक्यू का ट्रायल रोका विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एचसीक्यू दवा के

ब्राजील को एक हजार वेंटिलेटर भेजेगा अमेरिका, कतर में 1648 नए मामले सामने आए; दुनिया में अब तक 62.62 लाख संक्रमित

दुनिया में अब तक 62 लाख 62 हजार 805 संक्रमित हैं। 3 लाख 73 हजार 855 की मौत हो चुकी है। राहत की खबर यह कि इसी दौरान 28 लाख 46 हजार 523 संक्रमित स्वस्थ भी हुए। अमेरिका और ब्राजील दोनों महामारी से जूझ रहे हैं। लेकिन, एक-दूसरे की मदद का जज्बा बरकरार है। अमेरिका ने कहा है कि वो ब्राजील को एक हजार वेंटिलेटर्स और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की 20 लाख टेबलेट भेजेगा। खाड़ी देश कतर में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां 24 घंटे में 1648 नए मामले सामने आए। कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए अमेरिका 18,37,170 1,06,195 5,99,867 ब्राजील 5,14,849 29,314 2,06,555 रूस 4,05,843 4,693 1,71,883 स्पेन 2,86,509 27,127 1,96,958 ब्रिटेन 2,74,762 38,489 उपलब्ध नहीं इटली 2,32,997 33,415 1,57,507 भारत 1,90,609 5,408 91,852 फ्रांस 1,88,882 28,802 68,355 जर्मनी 1,83,494 8,605 1,65,200 पेरू 1,64,476 4,506 67,208 ये आंकड़े https://ift.tt/37Fny4L से लिए गए हैं। अमेरिका : ब्राजील को मदद अमेरिका और

बीते एक महीने में डेढ़ लाख मरीज बढ़े, 4253 की मौत हुई और 83 हजार ठीक हुए; अब तक 1 लाख 90 हजार 609 केस

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख 90 हजार 609 हो चुकी है। कल रिकॉर्ड 8750 मरीज बढ़े। 4921 संक्रमित ठीक हुए और 223 ने जान गंवाई। यह लगातार तीसरा दिन था, जब 8 हजार से ज्यादा संक्रमित बढ़े और 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। मई महीने में देश में 1 लाख 55 हजार से ज्यादा मरीज बढ़े हैं। इस दौरान 83 हजार संक्रमित ठीक हुए हैं और 4253 लोगों की मौत हुई। संक्रमण 28 राज्यों और7केंद्र शासित प्रदेश में फैला कोरोनावायरससंक्रमण 28 राज्यों में फैला है। 7केंद्र शासित प्रदेश भीइसकी चपेट में हैं। इनमें दिल्ली, चंडीगढ़, अंडमान-निकोबार, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पुडुचेरी और दादरा एवं नगर हवेलीशामिल हैं। राज्य कितने संक्रमित कितने ठीक हुए कितनी मौत महाराष्ट्र 67655 29329 2286 तमिलनाडु 22333 12757 176 दिल्ली 19844 8478 473 गुजरात 16794 9919 1038 राजस्थान 8831 6032 195 मध्यप्रदेश 8089 4842 350 उत्तरप्रदेश 8075 4843 217 पश्चिम बंगाल 5501 2157 317 बिहार 3807 1520 23 आंध्रप्रदेश 3571 2340 62 कर्नाटक 3221 1218 51 तेलंगाना 2698

पायलट ट्रेनिंग के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो कानपुर की सौम्या ने उधार की ड्रेस बेचकर खड़ा किया बिजनेस

2007 की आर्थिक मंदी में कानपुर की सौम्या गुप्ता के भी सपने टूटे थे। तब 19 साल की सौम्या ने 65 लाख रुपए खर्च कर अमेरिका में पायलट की ट्रेनिंग पूरी की थी। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी नौकरी नहीं मिली। इसलिए जिम रिसेप्शनिस्ट से लेकर कॉल सेंटर तक में काम किया। फिर उधार लेकर कपड़ों का अपना बिजनेस शुरू किया। आज उनकी कंपनी में 35 कर्मचारी काम करते हैं और उनके डिजाइन किए करीब दस हजार कपड़े रोज बिकते हैं। सौम्या कहती हैं कि 2006 में मेरा करिअर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया। ट्रेनिंग के बाद नौकरी मिलना तय था। पर अचानक पूरी इंडस्ट्री अनिश्चितताओं के घेरे में आ गई। इसका कारण था अमेरिका का सब-प्राइम मोर्गेज डिफाल्ट, जिसके कारण लेहमन ब्रदर्स जैसे बड़े बैंक और अमेरिकन इंश्योरेंस ग्रुप दिवालिया हो गई थीं। वे बताती हैं कि 2008 का पूरा साल मैंने नौकरी की तलाश में बिता दिया। आखिर मैंने 5000 रुपए महीने की नौकरी जिम में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर शुरू की। कुछ दिनों बाद ही एक कॉल सेंटर ज्वाइन कर लिया। रात में यहां काम करती और दिन में दूसरी नौकरी की तलाश। इस बीच एक मेरी मुलाकात राबर्टो कवाली और गॉटियर जैसे ब

मंदी में नौकरी गई, पत्नी के जेवर बेच फैक्ट्री लगाई, अब टर्नओवर 100 करोड़ रुपए हुआ

कोरोना काल में जब नौकरियां जा रही हैं, ऐसे में उत्तराखंड के हर्षपाल सिंह चौधरी की कहानी किसी आदर्श से कम नहीं है। साल 2007 की वैश्विक मंदी में उनकी नौकरी छिन गई थी। तब उन्हें 6700 रुपए सैलरी मिलती थी, लेकिन हर्षपाल निराश नहीं हुए। उन्होंने पत्नी के गहने बेचकर 2 लाख रुपए जुटाए और हर्बल प्रोडक्ट बनाने की एक छोटी फैक्ट्री शुरू की। आज इनकी कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रु. पहुंचने जा रहा है। इन्होंने अपने पूरे गांव को रोजगार दिया है। हर्षपाल उत्तराखंड के छोटे किसान परिवार से हैं। माइक्रोबायोलॉजी और फूड सैंपलिंग की पढ़ाई करने के बाद 1994 में उन्होंने हेल्थ केयर और फूड सैंपलिंग सेक्टर में नौकरी शुरू की थी। स्टार्टअप शुरू करने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे- चौधरी सोनीपत में उनकी नाैकरी ठीक चल रही थी कि 2006 में मंदी की आहट सुनाई देने लगी। वे बताते हैं कि तब मेरे पास पैसे नहीं थे, लेकिन मैं स्टार्टअप शुरू करना चाहता था। मैंने पत्नी बीना के गहने बेच दो लाख रुपए जुटाए। इन पैसों से गुजरात के नवसारी में एक छोटी फैक्ट्री डाली। बीना इसका काम देखने लगी और मैंने नौकरी जारी रखी। पहला ऑर्डर अमेरिका से अ

पंचायत ने तय किया- लॉकडाउन में खाली नहीं बैठना है, 10 हजार परिवार कृषि क्रांति ले आए, हर खाली जगह पर सब्जियां उगा दीं

लॉकडाउन में केरल की एक पंचायत ने नई कृषि क्रांति खड़ी कर दी है। जब 23 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन के घोषणा हुई थी, तभी एर्नाकुलम जिले की वडक्ककेरा ग्राम पंचायत ने तय किया वे इस समय का बखूबी इस्तेमाल करेंगे। सामूहिक चर्चा के बाद तय हुआ कि गांव की खाली पड़ी जगह, घरों के आसपास और छतों पर सब्जियां उगाएंगे। पहले हफ्ते करीब 4800 परिवार इस मुहिम में जुड़े। कुछ ही दिनों में गांव के 10 हजार 312 परिवारों में 9417 परिवार जुड़ चुके हैं। अब केरल सरकार के कृषि विभाग ने इन किसानों के लिए बाजार भी तैयार कर दिया है, जहां सभी अपनी उपज बेच सकते हैं। पंचायत की तरफ से बेस्ट फार्म और बेस्ट किसान को अवॉर्ड भी दिया जा रहा है। द वेजिटेबल फार्मिंग चैलेंज मुहिम के तहत खुद को सब्जियों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाले इस गांव के परिवारों ने पहले छोटे-छोटे समूह बनाए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों के आसपास खाली पड़ी जगहों को साफ किया। इसके बाद इनकी जुताई कर इन्हें सब्जी बोने लायक खेत में तब्दील किया। लोगों ने तय किया- पेस्टीसाइड का इस्तेमाल नहीं करेंगे ग्राम पंचायत ने अलग-अलग किस्म के बीजों

रेल मंत्री ने कहा- आज से चलने वाली 200 ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन किसी को सीट नहीं, जनरल में भी जितनी सीटें उतनी ही एंट्री देंगे

देश में 68 दिन के लॉकडाउन के बाद रेलवे 200 यात्री ट्रेनें 1 जून यानी सोमवारसे शुरू कर रहा है। इन ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन कोई नहीं बैठ सकेगा। रिजर्व बोगियों में केवल कन्फर्म टिकिट वाले यात्री ही बैठ सकेंगे। वेटिंग टिकिट वालों की एंट्री नहीं हो सकेगी। जनरल बोगियों में भी सीटों की संख्या से ज्यादा लोगों को चढ़ने नहीं दिया जाएगा। यह बात रेल और वाणिज्य उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को दैनिक भास्कर से चर्चा करते हुए कही। पेश है उनसे की गई बातचीत के प्रमुख अंश... सवाल: ट्रेनों की सामान्य स्थिति कब तक बहाल होगी? जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी और हम सामान्य स्थिति की ओर लौटेंगे। अभी भी जो 200 ट्रेन हम चला रहे हैं, वह पूरी तरह फुल नहीं हुई हैं। लोग जरूरी होने पर ही यात्रा कर रहे हैं। बाद में निजी ट्रेनें भी चलाएंगे। सवाल: 15 जोड़ी राजधानी ट्रेन शुरू की गई हैं, उनमें डायनामिक फेयर लिया जा रहा है, ऐसा क्यों? अधिकांश ट्रेन अभी भी फुल नहीं जा रही हैं। पुराने सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। सिर्फ केटरिंग का चार्ज कम किया है। सब कुछ जाे पहले था उसी को बरकरार

दिव्यांग राजू , जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन

सवा महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पठानकोट के दो लोगों को प्रेरणास्रोत बताया। 24 अप्रैल को यहां की युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर के बाद रविवार को मन की बात में पीएम मोदी ने पठानकोट के दिव्यांग राजू को प्रेरणास्रोत बताया। बचपन से पोलियोग्रस्त 45 वर्षीय राजू शहर के ढांगू रोड पर 35 सालों से भीख मांगते हैं। बकौल राजू वह भीख से कमाए पैसे से गरीब कन्याओं की शादियों में, भंडारा कराने और राशन बांटकर उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने लाॅकडाउन के दौरान 3000 से अधिक मास्क बांटे और 100 परिवारों को राशन दिया। प्रधानमंत्री द्वारा नाम लिए जाने के बाद उसके घर लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी पहुंचे। लोग मेरी मदद करते हैं, इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूंः राजू राजू के मुताबिक, वह बचपन से ही पोलियोग्रस्त है। 10 साल की उम्र में मां-बाप का साया सिर से उठ जाने पर वह सड़क पर आ गया। दिव्यांगता के कारण उसे कोई काम नहीं मिला तो भीख मांगना मजबूरी बन गई। राजू की तो शादी भी नहीं हुई। दो भाइयों का परिवार है, लेकिन वह अलग रहता है। खाना भी पड़ोसी बनाकर देता है। राजू बताता

जीवन अच्छे भविष्य की कामना के साथ जिया जाना चाहिए, लेकिन इसके बीच मौजूदा वक्त को जीना भूलना नहीं चाहिए

सबसे अच्छा जीवन तभी जिया जा सकता है, जब हम हरदम इसे ज्यादा से ज्यादा सरल बनाने की कोशिश में ना लगे रहें। जीवन में वह समय भी आता है, जब जवाबों को खोजने की ज़रूरत पड़ती है और कभी ऐसा वक्त भी आता है जब सवालों को उसी स्थिति में छोड़ देना ही बेहतर हो जाता है। अगर हर जवाब अगले सवाल का कारण बन जाए या हर जवाब के साथ सवाल भी बढ़ते जाएं तो फिर यह उलझनें, मानसिक अशांति और जीवन में मौजूद यह शोर कभी ख़त्म नहीं होने वाला। और अगर ज़िंदगी इन्हीं उलझनों और त्रास में फंसी रही, तो जीवन के असली आनंद को महसूस करने से हम वंचित रह जाएंगे। इसलिए ‘कार्पे डियम्’ यानी कल की चिंता छोड़कर इस पल को भरपूर जिएं। इस क्षण को महसूस कीजिए और पूरे आनंद से अपना जीवन जिएं। हमारे ज्ञान, असीमित बुद्धिमत्ता से भी हम जीवन के बारे में कुछ खास नहीं समझ सकते। आप जीवन के सार को खोजने के लिए भले ही हर संभव प्रयास करते हैं, वह सब कुछ करने की कोशिश करते हैं, जो वाकई में किया जा सकता है, जो आपके दायरे में है, लेकिन आप देखेंगे कि वह भी अपर्याप्त जान पड़ेगा। निर्वाण, मोक्ष या ठहराव तो दरअसल जीवन के विरोधाभासों को संतुलित करने से ही म

हम जितना अपनी क्षमता को पहचानेंगे, उतना ही हम जीवन को रीडिजाइन और रीस्टार्ट कर पाएंगे

कोरोना के साथ जीना होगा, यह जानकर निराशा होना स्वाभाविक है। लेकिन उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए। निराशा में हम परिस्थिति का सामना करने में अक्षम हो जाते हैं। लेकिन यह कहना आसान है कि उम्मीद बनाए रखें। अभी उम्मीद केवल भावना केंद्रित नहीं बल्कि इतिहास केंद्रित होनी चाहिए। एक पुराना गीत है, ‘गम की अंधेरी रात में दिल को न बेकरार कर, सुबह जरूर आएगी सुबह का इंतजार कर।’ सुबह का इंतजार करना होगा। लेकिन वह अपने हिसाब से होगी। इसी तरह परिस्थितियां अपने हिसाब से बदलती हैं। दुनिया में ऐसी महामारियां, समस्याएं पहले भी आ चुकी हैं और हम इनसे बाहर निकले हैं। यही इतिहास केंद्रित उम्मीद है। फिर न्यू नॉर्मल अपनाना हमारे लिए कौन-सी नई बात है। जैसे पहले बैलगाड़ी थी, फिर गाड़ी आई, फिर रेलगाड़ी आई, हवाईजहाज आया, हम सब अपनाते गए। शुरुआत में थोड़ी कठिनाई हुई, लेकिन हम थोड़ी मेहनत से, थोड़ी अनुकूलता लाकर उसे अपना लेते हैं। पहले औद्योगिक क्रांति आई, तब लोग जीने के लिए नौकरी करते थे। फिर आईटी क्रांति आई, लोग जीवनस्तर बेहतर बनाने के लिए नौकरी करने लगे। अब हम डिजिटल और सोशल क्रांति को अपना रहे हैं। कितनी बार हमारा नॉर्

दिव्यांग राजू , जिसने पीएम मोदी के मन को छुआ, भीख मांगकर बांटे 3 हजार मास्क और गरीबों को राशन

सवा महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पठानकोट के दो लोगों को प्रेरणास्रोत बताया। 24 अप्रैल को यहां की युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर के बाद रविवार को मन की बात में पीएम मोदी ने पठानकोट के दिव्यांग राजू को प्रेरणास्रोत बताया। बचपन से पोलियोग्रस्त 45 वर्षीय राजू शहर के ढांगू रोड पर 35 सालों से भीख मांगते हैं। बकौल राजू वह भीख से कमाए पैसे से गरीब कन्याओं की शादियों में, भंडारा कराने और राशन बांटकर उनकी मदद कर रहे हैं। उन्होंने लाॅकडाउन के दौरान 3000 से अधिक मास्क बांटे और 100 परिवारों को राशन दिया। प्रधानमंत्री द्वारा नाम लिए जाने के बाद उसके घर लोग बधाइयां देने पहुंचने लगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा भी पहुंचे। लोग मेरी मदद करते हैं, इसलिए मैं दूसरों की मदद करता हूंः राजू राजू के मुताबिक, वह बचपन से ही पोलियोग्रस्त है। 10 साल की उम्र में मां-बाप का साया सिर से उठ जाने पर वह सड़क पर आ गया। दिव्यांगता के कारण उसे कोई काम नहीं मिला तो भीख मांगना मजबूरी बन गई। राजू की तो शादी भी नहीं हुई। दो भाइयों का परिवार है, लेकिन वह अलग रहता है। खाना भी पड़ोसी बनाकर देता है। राजू बताता