बिजली डिमांड और वाहनों की बिक्री के आंकड़े हमारी अर्थव्यवस्था की ताकत बताते हैं, लेकिन मांग पहले जैसी हुई तो ये चुनौती होगी
स्कंद विवेक धर/शरद पाण्डेय. पॉवर डिमांड और वाहनों की बिक्री के आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार हो रहा है। अगर मांग अचानक पुराने स्तर पर पहुंची तो तुरंत आपूर्ति सुनिश्चित करना इंडस्ट्री के लिए बड़ी चुनौती होगी। जाने-माने बैंकर और उद्योग संगठन सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने दैनिक भास्कर के साथ इंटरव्यू में ये बात कही। उन्होंने कहा कि रेलवे के फ्रेट ट्रैफिक और पीक पॉवर डिमांड के आंकड़ों से यह साफ दिख रहा है कि अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है।
एक और बड़ा सुधार ऑटोमोबइल सेक्टर में हो रहा है, जहां अगस्त महीने में पैसेंजर व्हीकल और दोपहिया गाड़ियों की बिक्री में वर्ष दर वर्ष आधार पर इजाफा होने की उम्मीद है। कुछ सेक्टरों ने वर्क फ्राॅम होम शुरू कर दिया है, लेकिन ज्यादातर सेक्टर में कर्मचारियों की उपस्थिति जरूरी है। 55 सेक्टर पर किए गए सीआईआई एसकॉन सर्वे के अनुसार जुलाई-सितंबर के बीच 55% उद्योगों के 50% से कम क्षमता के साथ काम करने का अनुमान है।
प्रस्तावित नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन इंडस्ट्री को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा और पीएलआई योजना से शुरुआती निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। ये सब कारण देश को नया मैन्युफैक्चरिंग हब बना सकते हैं। हालांकि, इसके लिए इंडस्ट्री और सरकार दोनों को कदम उठाने होंगे। भारत में पहले से ही बड़े पैमाने पर मैन्यूफैक्चरिंग होती है। हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग स्केल कई गुना बढ़ाए जाने की संभावना अभी बनी हुई है। उन्होंने इंडस्ट्री से जुड़े इन सवालों के भी जवाब दिए...
कोरोना से क्या कोई सबक सीखने को मिला?
लॉकडाउन जरूरी था, हालांकि लोगाें की अजीविका का नुकसान हुआ है। इससे सीख मिली कि महत्वपूर्ण संसाधानों को इस तरह डिजाइन करना होगा, जिससे अजीविका सुरक्षित रहे और संक्रमण का खतरा कम हो।
क्या इंडस्ट्री ने रणनीति में कोई बदलाव किया है?
जी हां, इंडस्ट्री ने अपनी रणनीति बदल दी है। ज्यादातर कंपनियां फिजिकल ऑपरेशन से डिजिटल ऑपरेशन की ओर शिफ्ट हो रही हैं। तकनीकी आधारित निवेश जल्द ही एक ट्रेड के रूप में उभर सकता है।
उद्योग जगत की सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं?
इंडस्ट्री को सरकार से ऐसी पार्टनरशिप की उम्मीद है, जिसमें वह इन्वेस्टमेंट क्लाइमेट में सुधार के लिए इंडस्ट्री के सुझावों पर भरोसा कर सके। वहीं, इंडस्ट्रीज से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह सरकार की ओर से सुझावों को स्वीकारे और अमल के बाद निवेश करे।
चीन से कैसे प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं?
इसके लिए इनपुट कास्ट और जमीन की कीमत कम करनी होगी। श्रमिकों को स्किल ट्रेनिंग देकर क्वालिटी और उपलब्धता में सुधार की जरूरत होगी। चीन से आयात में माल पर आयात शुल्क बढ़ाना भी बेहतर रणनीति का हिस्सा होगा।
देश को आत्मनिर्भर बनने में कितना समय लगेगा?
सभी सेक्टरों में आत्मनिर्भर बनना जरूरी नहीं है, लेकिन हमे कुछ सेक्टरों जैसे फार्मास्यूटिकल्स, मेडिकल उपकरण और सुरक्षा मामलों पर फोकस करना चाहिए।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
https://ift.tt/2QEOAlV
Comments
Post a Comment