Skip to main content

PM पहली बार गंगा में बोट से अपने संसदीय क्षेत्र जाएंगे; वाराणसी के 84 घाटों पर रोशन होंगे 15 लाख दीये

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आएंगे। बतौर PM उनका यह 23वां दौरा है, जबकि दूसरे कार्यकाल में तीसरी बार आ रहे हैं। आखिरी बार वे 16 फरवरी को काशी आए थे। PM मोदी पहली बार देव दीपावली (कार्तिक पूर्णिमा) पर आ रहे हैं। वहीं, पहली बार वे गंगा मार्ग से काशी विश्वनाथ मंदिर जाएंगे। विश्वनाथ कॉरिडोर के विकास कार्यों को जाएजा लेते हुए वे बाबा विश्वनाथ धाम पहुंचेंगे और वहां पूजा-अर्चना करेंगे।

अलकनंदा क्रूज से ही PM मोदी ललिता घाट पहुंचेंगे।

अलकनंदा क्रूज से PM काशीपति भगवान शिव के दरबार पहुंचेंगे

कार्तिक पूर्णिमा पर प्रधानमंत्री मोदी सोमवार दोपहर वाराणसी के बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल उनकी अगुवानी करेंगे। यहां से PM खजुरी जाएंगे। यहां प्रयागराज-वाराणसी 6 लेन हाईवे का लोकार्पण करने के साथ ही उनकी जनसभा होगी। इसके बाद वे हेलीकॉप्टर से डोमरी जाएंगे। फिर यहां से वे सड़क मार्ग से भगवान अवधूत राम घाट जाएंगे और अलकनंदा क्रूज पर सवार होकर ललिता घाट पहुचेंगे।

ललिता घाट से उनका काफिला विश्वनाथ मंदिर आएगा। यहां दर्शन-पूजन कर कॉरिडोर के विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करेंगे। क्रूज से वापस राजघाट पहुचेंगे और दीप जलाकर दीपोत्सव की शुरुआत करेंगे। यहीं पावन पथ वेबसाइट का लोकार्पण होगा। राजघाट से ही प्रधानमंत्री मोदी क्रूज से रविदास घाट के लिए रवाना होंगे। चेत सिंह घाट पर 10 मिनट का लेजर शो देखेंगे।

रविदास घाट पहुंच कर कार से भगवान बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ के लिए रवाना हो जाएंगे। यहां वे लाइट एंड साउंड शो देखेंगे और इसके बाद बाबतपुर एयरपोर्ट से दिल्ली वापस लौट जाएंगे। PM मोदी करीब सात घंटे काशी में रहेंगे।

इस बार काशी के 84 घाटों पर जलेंगे 15 लाख से अधिक दीपक।

पिछली बार से डेढ़ गुना ज्यादा जलेंगे दीप

देव दीपावली पर काशी के सभी 84 घाट दीपकों से रोशन होते हैं। हर साल लाखों लोग इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना संकट के चलते इस बार श्रद्धालुओं की संख्या सीमित कर दी गई है। हर एक शख्स के लिए मास्क अनिवार्य है। पिछले साल यहां 10 लाख दिये जलाए गए थे। लेकिन इस बार दीपों की संख्या में 5 लाख की बढ़ोत्तरी कर दी गई है। 20-25 घाटों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे।

भगवान अवधूत राम घाट पर कॉटेज बनाया गया।

21 बटुक और 42 कन्याएं कराएंगी आरती

इस दौरान 16 घाटों पर उनसे जुड़ी कथा की बालू से कलाकृतियां बनाई गई हैं। जैन घाट के सामने भगवान जैन की आकृति, तुलसी घाट के सामने विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया के कालिया नाग की आकृति और ललिता घाट के सामने मां अन्नपूर्णा देवी की आकृति भी बनाई गई है। देव दीपावली पर प्रधानमंत्री खुद भी दीपदान करेंगे। दशाश्वमेघ घाट पर महाआरती के दौरान 21 बटुक और 42 कन्याएं आरती में शामिल होंगी। सुरक्षा के लिहाज से एक दिसंबर तक काशी में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

काशी के 84 घाटों को सजाया गया।

देव दीपावली की अहमियत
मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवी-देवताओं ने मिलकर खुशी मनाई थी। काशी में देव दीपावली का अद्भुत संयोग माना जाता है। इस दिन दीपदान करने का पुण्य फलदायी व विशेष महत्व वाला होता है। मान्‍यता है कि भगवान भोलेनाथ ने खुद धरती पर आकर तीन लोक से न्यारी काशी में देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी। इसीलिए इस देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है।

घाटों पर बनी कलाकृतियां।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
यह फोटो वाराणसी की है। साल 2019 में दोबारा चुनाव जीतने के बाद उन्होंने काशी की जनता का कुछ इसी तरह अभिवादन किया था। (फाइल फोटो)


https://ift.tt/2VjZlfK

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...