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लगातार दूसरी तिमाही में GDP गिरी; इसका असर आपको दिखेगा नहीं, लेकिन आप पर हुआ भी और होगा भी

हमारे देश की GDP पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच 23.9% गिर गई थी। दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के बीच संभली जरूर है, लेकिन अभी भी उसके आगे माइनस का निशान लगा है। दूसरी तिमाही में हमारी GDP में 7.5% की गिरावट आई है।

इसको हम अच्छा भी मान सकते हैं और बुरा भी। अच्छा इसलिए क्योंकि एनालिस्ट 8% से 12% तक की गिरावट का अनुमान लगा रहे थे। और बुरा इसलिए क्योंकि लगातार दूसरी तिमाही में हमारी GDP में नेगेटिव ग्रोथ आई है। लेकिन GDP होती क्या है? क्या इसके गिरने-बढ़ने का हम पर कुछ असर होगा? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं...

सबसे पहले GDP क्या होती है?

  • हम सभी पढ़े-लिखे हैं। स्कूल-कॉलेज गए हैं। हर साल एग्जाम देने के बाद हमारा एक रिपोर्ट कार्ड आता है। इस रिपोर्ट कार्ड से पता चलता है कि हमने सालभर किस सब्जेक्ट में कितनी मेहनत की और उसमें हमें कितने मार्क्स मिले। कुल मिलाकर ये रिपोर्ट कार्ड हमारी परफॉर्मेंस बताता है।
  • कुछ ऐसा ही GDP के साथ भी होता है। क्योंकि ये तिमाही नतीजे हैं। इसलिए इसको ऐसे समझते हैं कि इन 3 महीनों में हमारे देश में कितना सामान बना, कितना बिका, इसका हिसाब-किताब होता है GDP। ये हमारे देश की आर्थिक हालत का रिपोर्ट कार्ड होता है। इसमें मार्क्स यानी ग्रोथ जितनी ज्यादा होगी, हालत उतनी अच्छी होगी। मार्क्स या ग्रोथ जितनी कम होगी, हालत उतनी खराब होगी।
  • आसान भाषा में कहें तो GDP में पॉजिटिव ग्रोथ होने का मतलब है हमारा देश तरक्की कर रहा है। लेकिन निगेटिव ग्रोथ का मतलब है कि देश को जितनी तरक्की करनी चाहिए, उतनी हो नहीं रही।

GDP में गिरावट क्यों आई?
GDP के गिरने का सबसे बड़ा कोरोनावायरस और उसकी वजह से लगा लॉकडाउन है। पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून तक लॉकडाउन का असर दिखा था, इसलिए GDP में 23.9% की गिरावट आ गई थी। उसके बाद जून से अनलॉक होना शुरू हुआ। बाजार धीरे-धीरे खुलने लगे, इसलिए इस बार गिरावट तो हुई लेकिन 7.5% की। यानी GDP अब रिकवर करने लगी है। हो सकता है कि जब तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसंबर के आंकड़े आएं तो GDP में पॉजिटिव ग्रोथ देखने को मिला।

GDP की घट-बढ़ के लिए कौन जिम्मेदार है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च। इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नोट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है। क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

GDP गिरी, लेकिन हम पर तो इसका असर दिखा नहीं?

  • अक्सर लोगों को कहते सुना जाता है कि GDP ग्रोथ रेट कम हो रही है, तो हमें क्या? कौनसा हमारा कुछ बिगड़ रहा है? हम जाने-अनजाने में ही सही, लेकिन इस बात को नकार देते हैं कि गिरती GDP का असर हम पर नहीं पड़ा। लेकिन इसका असर पड़ता भी है और पड़ेगा भी।
  • पहले समझाते हैं आप पर कैसे इसका असर पड़ भी गया और आपको ज्यादा अंदाजा नहीं लगा। क्योंकि ये GDP के जो आंकड़े आते हैं, वो हम-आपके ही हालात बयां करते हैं। क्योंकि हमने खर्च कम किया और बचत ज्यादा की और जब खर्च कम हुआ तो प्रोडक्शन भी कम हो गया, क्योंकि उसे खरीदने वाले ही नहीं थे। प्रोडक्शन कम हुआ, तो GDP भी कम हो गई। GDP गिरने का एक असर ये भी होता है कि इससे कमाई कम हो जाती है।
  • अब समझाते हैं आप पर इसका असर कैसे पड़ेगा? जिस तरह से हमने लॉकडाउन में और उसके बाद अनलॉक में भी खर्च से ज्यादा बचत की, क्योंकि हम जानते थे कि हालात अभी सही नहीं चल रहे हैं। ऐसा ही कंपनियां भी करती हैं। गिरती GDP से बेरोजगारी का खतरा बढ़ जाता है। कंपनियां अपने खर्च कम करती हैं। इससे नई नौकरियां कम हो जाती हैं और छंटनियां बढ़ने लगती हैं।

तो क्या देश में बेरोजगारी बढ़ने वाली है?
इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन गिरती GDP का असर रोजगार पर पड़ता जरूर है। अभी हाल में निजी एजेंसी सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने अक्टूबर में बेरोजगारी दर का डेटा जारी किया है। इसके मुताबिक, हमारे देश में बेरोजगारी दर अक्टूबर में 6.98% रही। इससे पहले सितंबर में 6.67% रही थी।

तो सरकार क्या कर रही है?
गिरती अर्थव्यवस्था को ऊपर उठाने के लिए सरकार अब तक 29.87 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दे चुकी है। इसी महीने 12 नवंबर को सरकार ने आत्मनिर्भर 3.0 पैकेज जारी किया था, जो 2.65 लाख करोड़ रुपए का था। इस पैकेज में सबसे ज्यादा फोकस रोजगार बढ़ाने पर किया गया था। उससे पहले त्योहारी सीजन में मांग बढ़ाने के लिए सरकार 12 अक्टूबर को 73 हजार करोड़ रुपए का आत्मनिर्भर 2.0 पैकेज लेकर आई थी।

जबकि, सबसे पहले 12 मई को प्रधानमंत्री मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर 1.0 पैकेज की घोषणा की थी, जो असल में 20.97 लाख करोड़ रुपए का था। हालांकि, इन पैकेज का असर कितना पड़ा, इसका पता तो बाद में ही चल पाएगा।



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