Skip to main content

बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बीते 13 साल में सबसे कम, मार्च 2021 तक भी ज्यादा उम्मीदें नहीं

2020 के 11 महीने बीत चुके हैं। इनमें से 9 महीने बॉक्स ऑफिस के लिए इतने बदतर साबित हुए हैं कि यह 13 साल पीछे चला गया। कोविड-19 के चलते मार्च में लॉकडाउन लगा और अन्य उद्योगों की तरह फिल्म उद्योग भी ठहराव पर आ गया।

अनलॉक के बाद दूसरे उद्योगों ने तो रफ्तार पकड़ ली लेकिन सिनेमाघर ओपनिंग के एक महीने बाद भी ट्रैक पर नहीं आ पाए हैं। ट्रेड एनालिस्ट और 40 सालों से डिस्ट्रीब्यूशन सक्रिय राज बंसल की मानें तो कोरोना की वजह से बॉक्स ऑफिस को 1800-2000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।

2020 का कलेक्शन 2007 की राह पर

2020 का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 2007 की राह पर है। इस साल सिनेमाघरों में रिलीज हुईं सभी छोटी-बड़ी फिल्मों ने जनवरी से नवंबर तक करीब 826 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया। जबकि 2007 का रिकॉर्ड देखें तो उस साल भी नवंबर तक कलेक्शन लगभग 819 करोड़ रुपए हुआ था। अगर हालात यही रहते हैं तो 2020 का कुल कलेक्शन 2007 के कुल कलेक्शन के आसपास रह जाएगा।

सबसे बड़ा घाटा सिनेमाघर मालिकों को

राज बंसल कहते हैं, "अगर कोरोना के कारण हुए घाटे की बात करें तो सबसे बड़ा घाटा सिनेमाहॉल मालिकों को हुआ है। एक्टर्स को घाटा यह हुआ है कि उनकी फिल्में घट गईं और शूटिंग के दिन कम हो गए। अगर हम 2000 करोड़ रुपए के घाटे की बात करें तो इसमें से कम से कम 1000 करोड़ रुपए का नुकसान सिनेमाहॉल मालिकों का है।"

2020 में लॉकडाउन से पहले सिनेमाघर 73 दिन तक खुले रहे थे और लॉकडाउन के बाद इन्हें खुले हुए 34 दिन बीत चुके हैं। अब तक कुल कलेक्शन करीब 826 करोड़ रुपए हुआ है। वहीं, 65 से ज्यादा फिल्में रिलीज हो चुकी हैं।

एक महीने में कोई कलेक्शन नहीं

7 महीने बंद रहने के बाद सिनेमाघरों को 15 अक्टूबर से दोबारा खोल दिया गया था। तब से अब तक एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है। लेकिन, बॉक्स ऑफिस अभी भी कलेक्शन को तरस रहा है। इसकी बड़ी वजह नई फिल्मों का रिलीज न होना है। राज बंसल कहते हैं कि जब पुरानी फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर मुफ्त में उपलब्ध हैं तो फिर कोई क्यों अपनी जिंदगी का रिस्क लेकर टिकट खरीदकर इन्हें सिनेमाघरों में देखेगा।

मेकर्स को नुकसान नहीं है

बंसल कहते हैं, "मेकर्स को नुकसान नहीं है। अगर है भी तो बहुत कम है। क्योंकि वे अपना पैसा सैटेलाइट राइट बेचकर और फिल्मों को डिजिटली बेचकर निकाल रहे हैं। यशराज और रिलायंस जैसे प्रोडक्शन हाउस सिनेमाघरों के साथ खड़े हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि अगर वे साथ खड़े नहीं होंगे तो इंडस्ट्री चरमराकर खत्म हो जाएगी। उनका साथ खड़ा होना बहुत बड़ी बात है।"

2020 में अब तक सिर्फ एक ही फिल्म हिट रही और वह है अजय देवगन स्टारर 'तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर', जिसने बॉक्स ऑफिस पर करीब 280 करोड़ रुपए की कमाई की थी। यह इस साल की इकलौती ऐसी फिल्म है, जिसने बॉक्स ऑफिस पर 100 और 200 करोड़ का आंकड़ा पार किया।

होली तक हालात सामान्य होने पर संदेह

बंसल के मुताबिक, वे उम्मीद कर रहे थे कि क्रिसमस पर बॉक्स ऑफिस ट्रैक पर लौट सकता है। लेकिन जिस तरह के हालात देश में बने हुए हैं, उन्हें देखते हुए अगले साल होली से पहले स्थिति सामान्य होती दिखाई नहीं देती। वे कहते हैं, "वर्तमान हालात ये हैं कि सिनेमाघर बंद हो रहे हैं। लोग दूसरी जगह जाकर नौकरी कर रहे हैं। कई लोग फल, सब्जी के ठेले लगाने को मजबूर हैं। किसी ने होजरी की दुकान खोल ली क्योंकि घर तो चलाना ही है।"

अगर पिछले 10 साल की तुलना करें तो ज्यादातर हाईएस्ट ग्रॉसर्स फिल्में जनवरी से नवंबर तक की रिलीज में से ही आई हैं। इन 10 सालों में दिसंबर में सिर्फ वही फिल्म हाईएस्ट ग्रॉसर रही, जिसमें आमिर खान लीड रोल में थे।

चर्चित फिल्में जो पर्दे पर रिलीज नहीं हो सकीं

फिल्म स्टार कास्ट डायरेक्टर कब रिलीज होनी थी वर्तमान स्टेटस
सूर्यवंशी अक्षय कुमार, कटरीना कैफ, अजय देवगन, रणवीर सिंह रोहित शेट्टी 12 मार्च अगले साल आएगी
83 रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण कबीर खान 10 अप्रैल अगले साल आएगी
कुली नं. 1 वरुण धवन, सारा अली खान डेविड धवन 1 मई क्रिसमस पर ओटीटी पर आएगी
राधे : योर मोस्ट वांटेड भाई सलमान खान, दिशा पाटनी प्रभु देवा 22 मई अगले साल आएगी
पृथ्वीराज अक्षय कुमार, मानुषी छिल्लर चंद्रप्रकाश द्विवेदी दिवाली पर अगले साल आएगी

इनके अलावा, अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना स्टारर 'गुलाबो सिताबो', विद्या बालन स्टारर 'शकुंतला देवी', जाह्नवी कपूर स्टारर 'गुंजन सक्सेना : द कारगिल गर्ल', संजय दत्त स्टारर 'सड़क 2', अक्षय कुमार स्टारर 'लक्ष्मी बॉम्ब' जैसी कई फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज कर दी गई हैं।

अजय देवगन स्टारर 'भुज : द प्राइड ऑफ इंडिया' और अभिषेक बच्चन स्टारर 'द बिग बुल' जैसी कई अन्य फिल्में भी ओटीटी पर रिलीज के लिए तैयार हैं। वहीं, अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट स्टारर 'ब्रह्मास्त्र' और आमिर खान स्टारर 'लाल सिंह चड्ढा' जैसी कई ऐसी बड़ी फिल्में हैं, जिन्हें कोरोना के चलते अगले साल तक के लिए टाल दिया गया है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Box Office Collection | Coronavirus Impact On Bollywood Box Office Collection Projection 2020


https://ift.tt/3lasV1P

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...