Skip to main content

लड़की ने इनकार क्या किया, मर्द का इगो सांप जैसा फुफकारता है, फिर उसे कुचलने की कवायद शुरू होती है

हाल ही में हरियाणा में एक लड़की को सरेबाजार गोली मार दी गई। वजह- लड़की ने युवक का प्रेम-निवेदन अस्वीकार कर दिया था। निकिता, जो IAS बनने का ख्वाब देख रही थी, उसके ख्वाब को तौफीक ने भरी सड़क बेरहमी से कुचल दिया।

तौफीक के एकतरफा प्यार के बारे में दोनों का ही पूरा घर जानता था, लेकिन किसी ने तौफीक को भरे बाजार बेइज्जत नहीं किया, कस के तमाचा मारना तो दूर की बात है। निकिता अकेली नहीं। ऐसी हजारों-लाखों लड़कियां रोज सड़क पर इस खतरे के साथ निकलती हैं कि कहीं किसी मर्द की नजर उन पर पड़े और वो उसे पसंद न कर ले।

पसंद करते ही शुरू होता है इजहार और इनकार का खेल। लड़की ने जरा इनकार क्या किया, मर्दों का इगो कांच की तरह झन्न करके टूट जाएगा। आखिर वो खुद को समझती क्या है? ऐसे कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं? चोटिल इगो को मर्द के यार-दोस्त और उकसाते हैं।

अरे, कहीं किसी और के साथ तो लफड़ा नहीं चल रहा! कल खूब बन-ठनकर कहीं गई थी। इगो सांप की तरह फुफकार मारता है और फिर लड़की को कुचलने की तमाम कवायद चल पड़ती है। जिस चेहरे पर इतरा रही है, उसे ही खत्म कर देते हैं।

कहीं की न रहेगी और ये लीजिए, तुरंत एसिड की बोतल आपके हाथ में आ जाती है। जिस शरीर को इतना सहेज रही है, उसे ही रौंद देते हैं। कहीं की न रहेगी और फिर होता है गैंगरेप। पसंद करने वाला मर्द दावत की तरह उसे अपने साथियों में भी परोसता है। चटखारे लेकर लड़की को भोगते हुए वो भूल जाता है कि कल ही तो वो इसी लड़की को दिलोजान से चाहने के दावे कर रहा था।

ये क्या है मर्दों? दफ्तर में अपने पुरुष बॉस से एक छुट्टी के लिए लताड़ सुनने पर तो आपका इगो नहीं भचकता। बाप की डांट पर उसे मारने की साजिश तो नहीं रचते। दोस्तों के मजाक पर उन्हें डसने को नहीं दौड़ते। यहां तक कि सड़क पर गलत साइड चलने पर गाली किसी अनजान पुरुष मुख से उचारी जाए तो भी आपकी जान नहीं निकलती। फिर ये लड़कियों के साथ क्या मसला है बॉस?

मर्द, तुम मन के कैसे-कैसे मैल दिखला रहे हो? राजनीति न हुई, मानो मर्द जाति की व्‍यक्तिगत बिसात हो गई

क्या लड़कियां सड़क पर निकलते ही किसी मर्द की जागीर बन जाती हैं? या फिर ये आपके नाजुक कानों का नुक्स है, जो केवल हां ही सुन पाता है। विज्ञान की छात्रा होने के नाते इतना खूब समझती हूं कि मर्द या औरत किसी के कान में ऐसा कोई फिल्टर नहीं, जो न को बाहर ही छानकर रख दे। फिर लड़की की न में आखिर ऐसा क्या है जो आप इतना तनफना जाते हैं।

दफ्तर में एक लड़की को अक्सर एक चेहरा एकटक लगाए देखता दिखता था। लड़की को लगा भौंहों और माथे पर सिकुड़नें उसकी 'न' को समझाने के लिए काफी होंगी, लेकिन उतना काफी नहीं होता, ये लड़कियां क्यों नहीं समझतीं। आंखें ही क्यों नहीं नोच लेती पहली दफा में।

वैसे इनकार न सुन पाना अकेले हिंदुस्तानी मर्दों की बपौती नहीं। साल 2014 में कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में इलियट रोजर नाम के युवक ने 6 औरतों को गोलियों से भून दिया और 14 को घायल कर दिया। पकड़े जाने के बाद युवक ने माना कि जितना मुमकिन हो, वो उतनी औरतों को मारना चाहता है। औरतों की भूल भी कोई छोटी-मोटी नहीं, काफी गंभीर है, कई औरतों ने इलियट को रिजेक्ट कर दिया था।

रिजेक्शन झेल रहे बेचारे मर्दों की एक ऑनलाइन बिरादरी भी बन चुकी है, जिसमें वे औरतों से बदला लेने के तरीके डिस्कस करते हैं। इंसेल नाम की इस बिरादरी के मायने हैं- अनचाहे ही कुंवारा रह जाना। इससे जुड़े पुरुषों की जिंदगी में कोई लड़की प्रेमिका या सेक्स पार्टनर बनकर नहीं आई। लिहाजा, गुस्साए मर्दों ने उनके खिलाफ अभियान चला डाला।

मर्द कहते हैं कि औरतें बेहद छिछली होती हैं और अच्छी कद-काठी या पैसों पर मरती हैं। उन्हें चमकते दिल से कोई सरोकार नहीं। क्या सचमुच! आप मर्द इतना ही चमकीला दिल रखते हैं? और यकीन जानो लड़कियों, थोड़ी गलती तो तुम्हारी भी है। सड़क पर जैसे ही लड़के ने तुम्हें अपनी जागीर क्लेम किया, सहमकर उसे टालने की बजाए पलटकर एक तमाचा जमा देती तो हाल-ए-किस्मत ऐसी न होती।

याद है वो दिन, जब तुम्हारे ट्यूशन से बाहर निकलते ही लड़कों का एक ग्रुप ठहाका मारते हुए हंसने लगा था। तेज-तेज पैडल मारते हुए घर भागने की बजाए रुक जाती। आंखों में आंखें डालकर उन लड़कों को दो तमाचे रसीद कर देतीं, तो कॉलेज या दफ्तर जाते हुए चाकुओं से न गोदी जातीं।

बेचारी लड़की करे क्या। किसी शहर में किसी मर्द ने कसकर चूम लिया। लड़की रो पड़ी तो लड़के ने हैरत से पूछा- अरे, तुम ही तो हंसकर बात करती थीं। हंसकर बात तो मैं कबाड़ लेने वाले, भाजीवाले, पार्लर में बाल काटने वाले और वॉक पर रोज दिखने वालों से भी करती हूं, तो क्या सबको चूमने का लाइसेंस मिल गया?

बेचारे मर्द भी क्या करें। जिम्मेदारी सिर पड़ी तो निभाएंगे ही। लिहाजा, सड़क पर चलती जिस लड़की पर आंखें दो घड़ी टिक जाएं, उसे ही प्रपोज करने को तुल जाते हैं। साथ में कृतार्थ करने का भाव। मैंने पसंद किया तो हां तो बोलेगी ही। इस डर में कि चेहरा और होंठ और छातियां एसिड से नहीं झुलसेंगी, अगर केवल मुंडी हिलाते हुए हां कह देतीं हैं।

क्या ये तस्वीर कुछ और नहीं होती अगर हम अपने बेटों को मांसपेशियों की ताकत के साथ न सुनने की शक्ति भी देते। मर्दाना बनाते हुए उन्हें थोड़ा-सा जनाना भी बना पाते। उन्हें घुट्टी में ये पिलाकर कि 'न' शब्द तुम्हारे लिए भी बना है बरखुरदार।

बात बराबरी की ये खबरें भी आप पढ़ सकते हैं :

1. बात बराबरी की:सिर्फ लड़की की इज्जत उसके शरीर में होती है, लड़के की इज्जत का शरीर से कोई लेना-देना नहीं?

2. बॉलीवुड की औरतें नशे में डूबी हैं, सिर्फ वही हैं जो ड्रग्स लेती हैं, लड़के सब संस्कारी हैं, लड़के दूध में हॉरलिक्स डालकर पी रहे हैं

3. जब-जब विराट का खेल खराब हुआ, ट्रोलर्स ने अनुष्का का खेल खराब करने में कसर नहीं छोड़ी, याद नहीं कि कभी विराट की जीत का सेहरा अनुष्का के सिर बांधा हो

4. कितनी अलग होती हैं रातें, औरतों के लिए और पुरुषों के लिए, रात मतलब अंधेरा और कैसे अलग हैं दोनों के लिए अंधेरों के मायने



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
What does the girl deny, Iago of men hears like a snake and then there is a lot of exercise to crush him.


https://ift.tt/32fGYNh

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...