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देश की सड़कों के बारे में दो अहम बातें: दुनिया की सबसे खराब सड़कें भारत में; इन सड़कों पर हर घंटे 17 मौतें

भारत की सड़कों को लेकर दो अहम बातें सामने आई हैं। पहली तो यह कि यह पूरी दुनिया में सबसे खराब है। दूसरी, इन्हीं सड़कों पर हर घंटे 17 मौतें हो रही हैं। यह हम नहीं बल्कि खुद सरकार के आंकड़े कह रहे हैं। आंकड़े पिछले साल के हैं। हर दिन 1,230 एक्सीडेंट हुए और उनमें 414 लोगों की मौत हुई। यदि हर घंटे का ब्रेक-अप देखें तो 51 एक्सीडेंट और 17 मौतें। पूरी दुनिया में सबसे भयावह स्थिति है।

सबसे दुखद पहलू यह है कि मरने वालों में 57% ऐसे थे, जो पैदल चल रहे थे, साइकिल चला रहे थे या टू-व्हीलर पर कहीं जा रहे थे। पिछले साल सितंबर नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हुआ, लेकिन उसकी सख्ती के बाद भी भारत में रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौतों में कोई कमी फिलहाल तो नजर नहीं आ रही।

2015 की तुलना में एक्सीडेंट जरूर 50 हजार कम हुए हैं, लेकिन एक्सीडेंट विक्टिम जरूर पांच हजार बढ़ गए। वैसे, राहत की बात यह है कि 2018 के मुकाबले पिछले साल एक्सीडेंट्स में 3.86%, मौतों में 0.20% और घायलों में 3.85% की कमी आई है।

पूरी दुनिया में भारत की सड़कें ही सबसे खतरनाक

भारत में भले ही दुर्घटनाओं और मौतों को कम करने की कोशिश की जा रही हो, दुनियाभर में हमारी सड़कें ही सबसे खतरनाक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन रोड सेफ्टी 2018 के मुताबिक 2016 में दुनियाभर में सालभर में 13.5 लाख लोगों की मौतें सड़क दुर्घटनाओं की वजह से हुई। यह और भी चौंकाने वाली बात है कि 5-29 वर्ष के एज ग्रुप में मौतों का यह सबसे बड़ा कारण है।

यह आंकड़ा और भी चौंकाने वाला है कि अमेरिका और जापान में भारत से भी ज्यादा रोड एक्सीडेंट हुए थे, लेकिन हमारे यहां एक्सीडेंट्स में मरने वालों की संख्या दोनों देशों के विक्टिम्स से चार गुना ज्यादा है। रिपोर्ट कहती है कि कम आय वाले देशों में मौतों का आंकड़ा बढ़ा है।

तीन साल में लड़कियों की मौतें बढ़ी

रोड एक्सीडेंट्स की बात करें तो विक्टिम पांच में से चार पुरुष ही रहे हैं। लेकिन, पिछले तीन वर्षों का ट्रेंड देखें तो मरने वालों में लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। 2017 में रोड एक्सीडेंट्स का शिकार बनने वालों में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की संख्या 1,965 थी, जो 2019 में बढ़कर 2,516 हो गईं। यानी करीब 30% से ज्यादा की बढ़ोतरी। इसी तरह ओवरऑल देखें तो कुल विक्टिम में महिलाओं की हिस्सेदारी 2017 में 13.6% थी, जो 2019 में बढ़कर 14.4% हो गईं।

ओवर स्पीडिंग बन रहा मौत का कारण

केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है कि 2018 की तरह 2019 में भी ओवर स्पीडिंग ही रोड एक्सीडेंट्स में मौत का सबसे बड़ा कारण रहा। ओवर स्पीडिंग की वजह से 71.1% एक्सीडेंट्स हुए और 67.3% मौतों और 72.4% घायलों में यही दोषी भी रहा।

रिपोर्ट कहती है कि ओवर स्पीडिंग, शराब पीकर ड्राइविंग, रेड सिग्नल तोड़ने और गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन के इस्तेमाल की घटनाएं 2018 के मुकाबले 2019 में ज्यादा रही। करीब 10% एक्सीडेंट्स बिना लाइसेंस के ड्राइविंग की वजह से हुए। इसका मतलब यह है कि मोटर व्हीकल एक्ट 2019 का सख्ती से पालन करने की जरूरत है।

ओपन एरिया में स्पीड कंट्रोल से ही थमेंगे एक्सीडेंट

रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात सामने आई है। रेसिडेंशियल एरिया, इंस्टिट्यूशनल एरिया और मार्केट में ट्रैफिक ज्यादा होता है और वहां एक्सीडेंट्स होने का खतरा भी ज्यादा रहता है। डेटा इसके उलट तस्वीर पेश करता है। 2018 और 2019 में ओपन एरिया में एक्सीडेंट्स ज्यादा हुए और विक्टिम्स भी ज्यादा रहे। वैसे, राहत की बात यह है कि सख्ती से नियमों का पालन कराने से 2019 में मार्केट और ओपन एरिया में एक्सीडेंट कुछ कम हुए और विक्टिम भी कम रहे।

अंधे मोड़ नहीं सीधी सड़कों पर सबसे ज्यादा एक्सीडेंट

सरकार ने एक्सीडेंट्स कहां हुए, यह आंकड़े भी जुटाए हैं। यह चौंकाने वाले हैं। आम तौर पर अंधे मोड़ या कर्व्ड सड़कों पर एक्सीडेंट्स का खतरा बताया जाता है, लेकिन यह सच नहीं है। डेटा कहता है कि 65.5% एक्सीडेंट्स सीधी सड़कों पर हुए और कुल मौतों में 66% हिस्सेदारी इन्हीं सड़कों की रही। वहीं, गड्ढों की वजह से 4,775 एक्सीडेंट्स हुए और इनमें 2,140 लोगों की मौत हुई।



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How Safe Indian Roads Are? Ministry Of Road Transport And Highways Latest News Update | Road Accidents In India 2019 | Road Accidents And Deaths In India 2019 | Road Safety Norms In India


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