देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने जून तिमाही का फाइनेंशियल रिजल्ट गुरुवार को पेश किया। हालांकि यह रिजल्ट ब्रोकरेज हाउस और विश्लेषकों के सभी के पहले के अनुमानों को झूठा साबित कर दिया। क्योंकि अनुमान ये थे कि कंपनी के लाभ में घाटा होगा, लेकिन कंपनी ने उससे आगे बढ़कर करीबन 30.6% ज्यादा लाभ दिखाया है। इसे हम हिस्सों में समझते हैं कि कैसे यह सब हुआ।
रिलायंस देश की सबसे बड़ी कंपनी है। इसने रिजल्ट से सभी को चौंका दिया है। इसका लाभ 30.6 प्रतिशत बढ़कर 13,248 करोड़ रुपए हुआ है। किसी भी कंपनी का लाभ वह हिस्सा होता है जो सभी खर्च, टैक्स आदि को काटकर बचता है।
लाभ क्यों बढ़ा- कंपनी को ब्रिटिश पेट्रोलियम की डील से 4,966 करोड़ रुपए मिले। अगर हम इसे निकाल दें तो कंपनी का लाभ 8,277 करोड़ रुपए होता है। यानी पिछले साल के जून में लाभ 10,140 करोड़ था। उसकी तुलना में इस बार लाभ घट जाता।
रेवेन्यू- रेवेन्यू वह हिस्सा होता है जो कंपनी की सभी तरह से आय होती है। मतलब किसी भी तरह से कंपनी की बैलेंसशीट में कोई पैसा आता है तो वह रेवेन्यू बन जाता है। आरआईएल का रेवेन्यू 42 प्रतिशत गिरकर 1.74 लाख करोड़ से 1 लाख 929 करोड़ रहा है।
रेवेन्यू क्यों कम हुआ- लॉकडाउन से पूरी अर्थव्यवस्था ठप रही। ग्लोबल लेवल पर मांग कम रही। मुख्य रूप से मांग न होने से ही कंपनी की लागत कम रही। साथ ही कच्चे तेलों की कीमतें भी इस दौरान गिरती रहीं। इसका ओटूसी रेवेन्यू इस दौरान बुरी तरह प्रभावित हुआ इसलिए इसका रेवेन्यू कम हुआ।
ऑयल प्राइस मतलब तेल की कीमतें- कंपनी के लिए जून तिमाही में तेल की कीमतें बहुत कम रहीं। ब्रेंट क्रूड की कीमतें जून तिमाही में औसतन 29.2 डॉलर प्रति बैरल रहीं। एक बैरल में 159 लीटर तेल होता है। जबकि एक साल पहले जून तिमाही में यह 68.8 प्रति बैरल थी। यानी कीमतों में 57.6 प्रतिशत की कमी आई इससे कंपनी के रेवेन्यू पर असर दिखा।
कंपनी का गणित क्या रहा? क्रूड ऑयल सस्ता होने के बावजूद देश में तेल की कीमतें पुराने स्तर पर ही बनी रहीं। ग्लोबल लेवल पर मांग कम रही। क्योंकि तेल की कीमतें हमेशा ग्लोबल लेवल पर ही चलती हैं। इससे कंपनी की लागत में कमी आई।
रेवेन्यू में कमी के और क्या कारण रहे- ब्रेंट क्रूड की कीमतें कम रहीं, रिटेल बिजनेस में 17% की गिरावट रही। यह गिरावट इसलिए रही क्योंकि लॉकडाउन रहा। लॉकडाउन से स्टोर को चलाने पर प्रतिबंध लगा रहा।
चुनौती भरा माहौल- लॉकडाउन के कारण चुनौती भरे माहौल में आरआईएल के रेवेन्यू में 42 प्रतिशत की गिरावट तो आई पर लाभ बढ़ा। पर अगर दूसरे तरीके से इसके लाभ को देखें तो इसमें 18 प्रतिशत की कमी रही है। कारण कि कंपनी को जो लाभ हुआ ,है वह एक्सेप्शनल गेन यानी किसी और तरीके से उसे लाभ हुआ है, न कि रेवेन्यू के आधार पर। यह लाभ मुख्य रूप से बीपी की डील का रहा है।
सभी मोर्चों पर कंपनी के रेवेन्यू में गिरावट रही। कंपनी के लिए राहत की बात यह रही कि जियो का रेवेन्यू 33.7% और लाभ 182% बढ़ा।
इबिट्डा- रिजल्ट की जो एक और बात है वह यह कि आरआईएल ने इबिट्डा पर नियंत्रण रखा है। इसका इबिट्डा मार्जिन 52 प्रतिशत रहा है। यह इसलिए संभव रहा क्योंकि लागत में कमी की गई, लागत में बचत की गई।
भविष्य में क्या होगा- अगर कंपनी लगातार आगे भी लागत पर नियंत्रण रखती है तो इसका इबिट्डा और लाभ बढ़ता रहेगा। जब रेवेन्यू वापस पटरी पर आएगा तब इसका और असर इबिट्डा और लाभ में दिखेगा।
आरआईएल का ईपीएस- ईपीएस यानी प्रति शेयर आय। यह जून तिमाही में 22.1 प्रतिशत बढ़ी। आय 20.7 रुपए प्रति शेयर रही। जैसा कि नाम से ही पता है कंपनी के जितने शेयर हैं, उनकी आय। मान लीजिए अगर 100 रुपए की आय है और 500 शेयर हैं तो प्रति शेयर आय 20 पैसे हुई।
स्टैंडअलोन जियो का रिजल्ट –स्टैंड अलोन क्या है- स्टैंडअलोन मतलब किसी एक कंपनी का रिजल्ट। जैसे रिलायंस में रिटेल है, जियो है पेट्रो केमिकल आदि कई सेगमेंट हैं। इसमें टेलीकॉम में जियो है। तो जब स्टैंडअलोन की बात आएगी तो किसी भी एक कंपनी की बात होगी। जब कंसोलिडेटेड की बात होगी तो फिर पूरे ग्रुप की बात होगी। जियो का स्टैंडअलोन रेवेन्यू 19,513 करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले की तुलना में यह 33.7 प्रतिशत बढ़ा है।
क्यों बढ़ा रेवेन्यू- एक तो कंपनी ने इस दौरान जियो के प्लान को महंगा कर दिया। दूसरे कंपनी ने अनलिमिटेड प्लान में भी कॉलिंग पर सीमा लगा दी। तीसरी बात कंपनी के ग्राहकों की संख्या भी इसी दौरान बढ़कर 39.8 करोड़ हो गई। इससे इसके प्रति ग्राहक का औसत खर्च भी बढ़ गया। यह औसत खर्च (एआरपीयू) 140.3 रुपए रहा।
डाटा ट्रैफिक में बढ़ोतरी- इसी दौरान जियो का वायरलेस डाटा ट्रैफिक भी 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा। यह 1,420 करोड़ जीबी रहा। जब किसी भी चीज की खपत बढ़ेगी तो उसका रेवेन्यू बढ़ेगा और उससे उसका लाभ बढ़ेगा। इस दौरान प्रति महीने प्रति ग्राहक 12.1 जीबी का डेटा खपत रहा। फोन से कॉल करने के मामले में हर ग्राहक ने महीने का 12.6 घंटे फोन कॉल किया।
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