बुकर के लिए 13 उपन्यासकार; इनमें से 9 महिलाएं, भारतीय मूल की अवनि दोशी सहित 8 लेखकों की पहली किताब पुरस्कार की दौड़ में
बुकर की दौड़ में इस साल हिलेरी मैंटल, एनी टेलर और कीले रीड जैसी ख्यात लेखिकाएं शामिल हैं। भारतीय मूल की अवनि दोशी का पहला उपन्यास ‘बर्न्ट शुगर’ भी अंतिम तेरह में है। 15 सितंबर तक पहले छह उपन्यास चुने जाएंगे, फिर नवंबर में विजेता के नाम की घोषणा होगी।
इस बार नॉमिनेशन में 9 महिलाएं हैं। 8 लेखकों की तो साहित्य जगत में पहली पेशकश है। हिलेरी मैंटल की रचना ‘द मिरर एंड द लाइट’ थॉमस क्रोमवेल शृंखला का तीसरा उपन्यास है। किताब क्रोमवेल के जीवन के उत्तरार्ध पर है। 875 पेज की यह किताब ब्रिटेन में चर्चित रही थी। क्रोमवेल 1532-40 तक इंग्लैंड के किंग हेनरी 8वें के चीफ मिनिस्टर थे। लॉयर व राजनेता क्रोमवेल सुधारों व पुनर्गठन के हिमायती थे। बाद में उन्हें फांसी दे दी गई थी।
हिलेरी तीन बार बुकर जीतने वाली पहली लेखिका होंगी
हिलेरी अगर विजेता बनती हैं तो तीन बार बुकर जीतने वाली वह पहली लेखिका होंगी। वह 2009 में ‘वुल्फ हॉल’ और 2012 में ‘ब्रिंग अप द बॉडीज’ के लिए अवॉर्ड जीत चुकी हैं। एनी टेलर की ‘रेडहेड बाय द साइड ऑफ द रोड’ और कीले रीड की किताब ‘सच ए फन एज’ भी चुनौती पेश कर रही हैं।
बुकर विजेता को इनाम स्वरूप 64000 डॉलर (47.91 लाख रु.) मिलेंगे। इस बार ‘लकी थर्टीन’ में 6 अमेरिकी लेखक हैं, तीन अन्य के पास अमेरिकी नागरिकता है। इस प्रतिष्ठत ब्रिटिश साहित्यिक पुरस्कार में इनकी एंट्री विवाद की वजह बनती रही है। 2014 में अमेरिकी लेखकों की भागीदारी स्वीकार हुई। नहीं तो ब्रिटेन, आयरलैंड व राष्ट्रमंडल देशों के लेखकों की कृतियों पर ही विचार किया जाता था। बाद में दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे भी शामिल कर लिए गए। 2019 में माग्रेट एटवुड (द टेस्टामेंट्स) और बर्नारडाइन इवारिस्टो (गर्ल, वुमन, अदर) को संयुक्त रूप से बुकर प्राइज देने के निर्णायक मंडल के फैसले की काफी जगहंसाई हुई थी।
‘बर्न्ट शुगर’; मेमोरी लॉस की शिकार एक मां और उसकी बेटी के उलझे रिश्ते का भावपूर्ण ताना-बाना
न्यू जर्सी में जन्मीं अवनि दोशी दुबई में रह रही हैं। बर्न्ट शुगर भारत में ‘गर्ल इन व्हाइट कॉटन’ के नाम से प्रकाशित हुई। किताब, मेमोरी लॉस की शिकार मां-बेटी के बीच उलझे रिश्ते का भावपूर्ण ताना-बाना है। तारा गैस बंद करना भूल जाती हैं। उन्हें याद नहीं कि उसके दोस्त मर चुके हैं। वह अपनी बीमारी भी स्वीकार करने को तैयार नहीं। तारा और बेटी अंतरा के रिश्ते कठिन दौर से गुजरते हैं। अंतरा पर अपनी बेटी और पति की भी जिम्मेदारियां हैं। खुद का परिवार, मां और उसकी बीमारी। इसी हकीकत से तालमेल की बुनावट है ‘गर्ल इन व्हाइट कॉटन’।
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