Skip to main content

पढ़िए, द न्यूयॉर्क टाइम्स की इस हफ्ते की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

अमेरिका में बहुत लोगों का कहना था कि वे वैक्सीन नहीं लगवाएंगे। कई लोगों ने चेतावनी दी थी कि वैक्सीन जल्दबाजी में आ रही है। कुछ ने इसे बड़ी दवा कंपनियों का घोटाला बताया और हुईं तमाम बातें। लेकिन, पिछले कुछ सप्ताहों में वैक्सीन ट्रायल की सफलता का पॉजिटिव असर आने के बाद स्थिति कैसे बदली? पढ़ें इस लेख में....

चीन की एक कोर्ट ने कोरोनावायरस पर वुहान से रिपोर्टिंग करने वाली महिला पत्रकार झांग झान को चार साल की सजा सुनाई है। पत्रकार झांग व्हीलचेयर पर पैरवी के लिए पेश हुईं थीं। सजा के दौरान झांग के साथ किस तरह का व्यवहार हुआ और क्यों कमजोर नजर आ रही थीं वो ? पढ़ें इस लेख में.....

कॉर्ड ब्लड स्टेम सेल के बारे में बहुत बातें हो रही हैं। क्या यह वाकई कई बीमारियों से बचा सकता है? कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में स्टेम सेल बायोलॉजिस्ट पॉल नॉफ्लर के मुताबिक, कॉर्ड ब्लड स्टेम सेल में रक्त के अलावा किसी अन्य बीमारी के इलाज का दावा करने से पहले पर्याप्त शोध की जरूरत है। किन-किन बीमारियों के उपचार में ये तरीका कारगर हो सकता है? पढ़ें इस लेख में....

पल्स ऑक्सीमीटर चिकित्सा में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में से एक है। अंगुली के ऊपरी हिस्से (फिंगर टिप) पर लगाने के बाद यह रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बताता है। पर एक अध्ययन में सामने आया है कि अश्वेत लोगों में यह भ्रामक रीडिंग देता है। द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की रिसर्च क्या कहती है? पढ़ें इस लेख में.....



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
The New York Times / Read, The New York Times's select stories this week with just one click


https://ift.tt/34Q4odi

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...