Skip to main content

भारत की आधी शहरी आबादी तोंद वाली! जानिए आपका कितना वजन आपको रखेगा आइडियल शेप में

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) ने 28 सितंबर को देश की खानपान आदतों पर एक रिपोर्ट जारी की है। What India Eats यानी भारत क्या खाता है टाइटल से प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के शहरों और गांवों में खानपान से जुड़ी आदतों में एक बहुत बड़ा गैप है।

यह रिपोर्ट कहती है कि शहरों में एब्डोमिनल ओबेसिटी यानी तोंद की समस्या 53.6% लोगों को यानी हर दूसरे व्यक्ति को है। वहीं, गांवों में यह 18.8% लोगों की समस्या है। बात जब ओवरवेट और ओबेसिटी (मोटापे) की आती है तो उसमें भी शहर (31.4% और 12.5%) गांवों (16.6% और 4.9%) से आगे है।

क्या बॉडी मास इंडेक्स का कैल्कुलेशन बदल गया है?

  • आईसीएमआर-एनआईएन की रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों का आदर्श वजन अब 60 किलो नहीं बल्कि 65 किलो है। इसी तरह महिलाओं का आदर्श वजन 50 नहीं बल्कि 55 किलो हो गया है। 2010 में जो सिफारिशें की गई थी, उसमें पांच किलो वजन बढ़ाया गया है।
  • भारतीय पुरुषों का आदर्श कद 5.6 फीट (171 सेमी) से बढ़ाकर 5.8 फीट (177 सेमी) हो गया है। महिलाओं का आदर्श कद भी 5 फीट (152 सेमी) से बढ़ाकर 5.3 फीट (162 सेमी) किया है। इससे बॉडी मास इंडेक्स (BMI) इंडेक्स निकालने का फार्मूला भी बदल सकता है।

क्यों खास है यह What India Eats रिपोर्ट?

  • दस साल पहले भी इस तरह की रिपोर्ट बनी थी, लेकिन तब गांवों का डेटा नहीं था। पहली बार अलग-अलग फूड ग्रुप्स से कुल एनर्जी, प्रोटीन, फैट्स और कार्बोहाइड्स का योगदान बताया गया है। इसमें दो राष्ट्रीय स्तर के सर्वे डेटा का इस्तेमाल किया गया है।
  • रिपोर्ट में माय प्लेट की सिफारिश की गई है। आपकी थाली में फूड्स का सही अनुपात क्या होना चाहिए, यह बताया है। इससे इम्युन फंक्शन मजबूत होगा। डाइबिटीज, हायपरटेंशन, कोरोनरी हार्ट डिसीज, स्ट्रोक, कैंसर, आर्थराइटिस आदि बीमारियों से बचा भी जा सकता है।
  • What India Eats रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 2015-16 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -4, नेशनल न्यूट्रिशन मॉनिटरिंग ब्यूरो, डब्ल्यूएचओ और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स 2015 की रिपोर्ट्स को स्टडी किया गया है।

क्या आपका खाना आपके शरीर की एनर्जी की जरूरतों को पूरा करता है?

  • नहीं। रिपोर्ट कहती है कि शहरों में क्रॉनिक एनर्जी डिफिशियंसी 9.3% थी, जबकि गांवों में यह 35.4% थी। इसका मतलब है कि गांवों में रहने वाला हर तीसरा व्यक्ति खानपान से जुड़े किसी न किसी विकार से जूझ रहा है। शरीर को एनर्जी की जरूरतों को पूरा करने लायक खाना उन्हें नहीं मिल पा रहा है।
  • रिपोर्ट कहती है कि शहरों में लोग हर दिन 1943 किलो कैलोरी ले रहे हैं, जो 289 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 51.6 ग्राम फैट्स, 55.4 ग्राम प्रोटीन से आ रही है। वहीं, ग्रामीण इलाकों में लोग 2081 किलो कैलोरी ले रहे हैं। यह 368 ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स, 36 ग्राम फैट्स और 69 ग्राम प्रोटीन से आ रही है।
  • फूड ग्रुप्स देखें तो शहरों में 998 किलो कैलोरी अनाज से, 265 किलो कैलोरी फैट्स से और 119 किलो कैलोरी दालों-फलियों से आती है। वहीं, गांवों में एनर्जी सोर्स के तौर पर अनाजों की भागीदारी (1358 किलो कैलोरी) सबसे ज्यादा है। इसके बाद फैट्स (145), दाल व फलियां (144) आती है।
  • रिपोर्ट कहती है कि 66% प्रोटीन का सोर्स दालें, फलियां, नट्स, दूध, मांस होना चाहिए। लेकिन, ऐसा हो नहीं रहा। फल और सब्जियां कम खाने से डाइबिटीज और दूध व दूध के प्रोडक्ट्स कम खाने से हायपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) का खतरा बढ़ाता है।

एनर्जी सोर्स के तौर पर क्या अनाज पर निर्भरता सही है?

  • आईसीएमआर के हैदराबाद स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के मुताबिक अनाज आपकी 45% एनर्जी का सोर्स होना चाहिए। हकीकत यह है कि शहरों में 51% और गांवों में 65.2% एनर्जी सोर्स के तौर पर अनाज का सेवन हो रहा है।
  • एनर्जी सोर्स के तौर पर दालों, फलियों, मांस, अंडे और मछली का योगदान 11% है, जबकि यह 17% होना चाहिए। इसी तरह, गांवों में 8.7% और शहरों में 14.3% आबादी ही दूध और दूध के प्रोडक्ट्स का सही मात्रा में सेवन करती है।
  • सब्जियों की सही मात्रा लेने वाले भी गांवों में सिर्फ 8.8% और शहरों में 17% ही है। यदि आप नट्स और ऑइल सीड्स की बात करें तो सिर्फ 22% आबादी गांवों में और 27% आबादी शहरों में इसका सही मात्रा में सेवन कर रही है।
  • यह रिपोर्ट कहती है कि शहरों में लोग एनर्जी की जरूरत का 11% हिस्सा चिप्स, बिस्कुट्स, चॉकलेट्स, मिठाइयों और ज्यूस से लेते हैं। वहीं, गांवों में स्थिति अच्छी है। वहां ऐसा करने वाले सिर्फ 4% है। अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन 5% ग्रामीण और 18% शहरी आबादी ही कर रही है।

माय प्लेट की सिफारिशें क्या कहती हैं?

  • रिपोर्ट में माय प्लेट के नाम से बताया है कि आपके लिए आदर्श थाली क्या होगी, जहां से आपको पर्याप्त एनर्जी मिलें और वह बेलेंस्ड डाइट कहलाएं। इसके लिए आपकी 45% कैलोरी/एनर्जी का सोर्स अनाज होना चाहिए। 17% कैलोरी/एनर्जी दालों और फ्लेश फूड्स और 10% कैलोरी/एनर्जी दूध और दूध के प्रोडक्ट्स से मिलना चाहिए। फैट इनटेक 30% या उससे कम होना चाहिए।
  • पहली बार सिफारिशों में फाइबर-बेस्ड एनर्जी इनटेक शामिल किया है। इसके अनुसार रोज 40 ग्राम फाइबर-युक्त भोजन सेफ है। 5 ग्राम आयोडिन या नमक और 2 ग्राम सोडियम की इनटेक लिमिट तय की गई है। 3,510 मिलीग्राम पोटेशियम भी शरीर में न्यूट्रिशनल वैल्यू जोड़ेगी।
  • सीडेंटरी, मॉडरेट और हेवी एक्टिविटी वाले पुरुषों के लिए 25, 30 और 40 ग्राम फैट्स की सिफारिश की गई है। इसी तरह की एक्टिविटी वाली महिलाओं के लिए फैट्स के इनटेक 20, 25 और 30 ग्राम प्रतिदिन सेट किए गए हैं। 2010 में पुरुषों और महिलाओं के लिए फैट इनटेक की सिफारिशें समान रखी गई थी।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ICMR-Nutrition Institute of India releases What India Eats reports | Your Nutrition Guide | New Height and Weight Criterion for Indian Males and Females | Nutrition India | What You Should Eat


https://ift.tt/3l1w98u

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...