Skip to main content

अब हैदराबाद में भी गूंजेंगे बद्रीनाथ के जयकारे, यहां रहने वाले उत्तराखंड के 6 हजार परिवारों के दान से बन रहा है बद्रीनाथ धाम जैसा मंदिर

भगवान बद्रीनाथ उत्तराखंड के लोगों के आराध्य देव हैं। रोजगार की वजह से उत्तराखंड के करीब 6 हजार परिवार तेलंगाना के हैदराबाद में रह रहे हैं। ये लोग बद्रीनाथ के दर्शन समय-समय पर ही कर पाते हैं। इसीलिए इन लोगों के द्वारा हैदराबाद में ही करीब 60 लाख की लागत से बद्रीनाथ धाम जैसा मंदिर बनवाया जा रहा है, ताकि इन्हें भी भगवान के दर्शन आसानी से हो सके।

मंदिर का निर्माण भक्तों के दान से उत्तराखंड कल्याणकारी संस्था करवा रही है। संस्था के अध्यक्ष विक्रम सिंह उनाल ने बताया कि हैदराबाद में मेडचल नाम की जगह पर ये मंदिर बन रहा है। मंदिर का निर्माण कार्य 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है।

इसी साल मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खोलने की योजना थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से निर्माण काफी समय बंद रहा और मंदिर पूरा नहीं हो सका है। अब फिर से निर्माण कार्य शुरू हो गया है। 2021 की शुरुआत में मंदिर को पूरा करने का लक्ष्य है।

6750 वर्ग फीट में बनेगा मंदिर और इसकी ऊंचाई होगी 50 फीट

भगवान बद्रीनाथ का मंदिर 6750 वर्ग फीट में बन रहा है। मंदिर दो मंजिला होगा। इसकी ऊंचाई 50 फीट रहेगी। भूतल पर मंदिर का भव्य हॉल बनाया गया है, जहां करीब 350 लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी।प्रथम तल पर भगवान बद्रीनाथ अपनी बद्रीश पंचायत के साथ विराजेंगे।

इनकी पंचायत में योगमुद्रा में बद्रीनाथ, गणेशजी, कुबेरजी, बलरामजी, माता लक्ष्मी, नर-नारायण, नारदमुनि, गरुड़जी की मूर्तियां यहां स्थापित की जाएंगी। परिसर में गणेशजी, माता लक्ष्मी और नवग्रहों के लिए अलग मंदिर भी बनाए जाएंगे।

हैदराबाद में बन रहा मंदिर कुछ ऐसा दिखाई देगा। ये भक्तों के लिए सालभर खुला रहेगा।

7200 वर्ग फीट में बनेगा कम्युनिटी हॉल

मंदिर का निर्माण 2018 से चल रहा है। मंदिर के पास ही 7200 वर्ग फीट में कम्युनिटी हॉल बनाया जाएगा। मंदिर के लिए राजेंद्र प्रसाद डोभाल ने 1800 वर्ग फीट जमीन दान में दी है। इस जमीन पर गौशाला के साथ ही मंदिर में काम करने वाले लोगों के लिए रहने की व्यवस्था की जाएगी।

सालभर खुला रहेगा हैदराबाद का बद्रीनाथ मंदिर

उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में बंद कर दिए जाते हैं। क्योंकि, यहां का मौसम श्रद्धालुओं के लिए प्रतिकूल हो जाता है। लेकिन, हैदराबाद में बन रहा है, मंदिर पूरे साल भक्तों के लिए खुला रहेगा। मंदिर के मुख्य आर्किटेक्ट रोशन सिंह नेगी और इनके सहयोगी बलवीर प्रसाद पैनूली हैं। ये दोनों पूर्व सैनिक हैं। अनिल चंद्र पूनेठा और राजीव बेंजवाल मंदिर के मुख्य संरक्षक हैं।

बद्रीनाथ धाम की तरह यहां भी मनाए जाएंगे सभी उत्सव

उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम में मनाए जाने वाले सभी उत्सव हैदराबाद में भी मनाए जाएंगे। इस मंदिर में भी पूजा-पाठ से जुड़े सभी कार्यक्रम उसी तरह होंगे, जैसे बद्रीनाथ धाम में होते हैं।

हैदराबाद में उत्तराखंड के करीब 6000 परिवार

हैदराबाद में उत्तराखंड करीब 6 हजार परिवार रहते हैं। इनमें काफी लोग शासकीय और अशासकीय संस्थाओं में प्रमुख पदों पर कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड के इन्हीं लोगों द्वारा दिए गए दान से मंदिर बनवाया जा रहा है। उत्तराखंड कल्याणकारी संस्था आचार्य ब्रह्मानंद लसियाल जी और आचार्य प्रकाशचंद्र बड़ोनी जी के संरक्षण में सामाजिक कार्य कर रही है।

उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में बंद कर दिए जाते हैं।

उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम की कुछ खास बातें

उत्तराखंड के चमोली जिले में भगवान बद्रीनाथ का मंदिर है। ये मंदिर नर-नारायण नाम के दो पर्वतों के बीच में बना हुआ है। बद्रीनाथ देश और उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। मंदिर रावल यानी पुजारी आदि गुरु शंकराचार्य के गांव से ही नियुक्त किए जाते हैं। अभी यहां के रावल ईश्वरप्रसाद नंबूदरी हैं। नेशनल लॉकडाउन के बाद बद्रीनाथ मंदिर देशभर के सभी भक्तों के लिए खुल गया है।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
हैदराबाद में बन रहे मंदिर में भी उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम की तरह ही पूजा-पाठ की जाएगी।


https://ift.tt/3cFGB2v

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...