Skip to main content

क्या लद्दाख में लैंड कर चुके हैं भारतीय पैराट्रूपर? 8 महीने पुराना वीडियो गलत दावे के साथ वायरल

क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें विमान से कुछ सैनिक पैराशूट के जरिए उतरते दिखाई दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि ये भारतीय पैराट्रूपर्स हैं, जो लद्दाख में अपना मूवमेंट बढ़ा रहे हैं।

एक तरफ भारत-चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए जहां सैन्य और राजनयिक स्तर की बातचीत का दौर जारी है। वहीं दूसरी तरफ इस वीडियो को भारतीय पैराट्रूपर्स का बताकर सीमा विवाद से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।

और सच क्या है?

  • अलग-अलग की-वर्ड सर्च करने से भी इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि हाल में भारतीय पैराट्रूपर्स ने लद्दाख में कोई सैन्य अभ्यास किया है।
  • वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें यूट्यूब पर एक वीडियो मिला। असल में ये वायरल हो रही एक छोटी क्लिप का पूरा वीडियो है।
  • वीडियो में पहले सैनिक एयरक्राफ्ट में बैठे दिख रहे हैं। फिर एक-एक करके पैराशूट के जरिए हवा में छलांग लगाते हैं। यूनिफॉर्म और सैनिकों को देखकर स्पष्ट हो रहा है कि ये भारतीय वायुसेना के जवान या पैराट्रूपर्स नहीं हैं। यूट्यूब पर ये वीडियो 23 जनवरी 2020 को ही अपलोड किया जा चुका है। इससे साफ है कि वीडियो का वर्तमान में चल रहे भारत-चीन सीमा विवाद से कोई संबंध नहीं है।
  • इस यूट्यूब वीडियो के कैप्शन के अनुसार, ये स्पैनिश फोर्स का वीडियो है। स्पैनिश फोर्स द्वारा लगाई गई पहली पैराशूट जंप की 72वीं सालगिरह सेना ने ऐसे मनाई थी। चूंकि ये किसी न्यूज एजेंसी या स्पेन की सेना का ऑफिशियल यूट्यूब चैनल नहीं है। इसलिए ये पुष्टि नहीं होती कि कैप्शन की जानकारी सही है या। लेकिन, ये स्पष्ट हो रहा है कि वीडियो का भारत से कोई लेना-देना नहीं है।


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Fact Check: Did Indian Paratroopers Landed in Ladakh? 8 month old video goes viral with false claim


https://ift.tt/3kY1Uiv

Comments

Popular Posts

सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...