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पढ़िए, दि इकोनॉमिस्ट की चुनिंदा स्टोरीज सिर्फ एक क्लिक पर

1. चार साल पहले डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी संसद भवन के सामने खड़े होकर राष्ट्रपति पद की शपथ लेते हुए ‘अमेरिकी जनसंहार’ बंद करने का वादा किया था। उनके कार्यकाल का समापन स्वयं राष्ट्रपति द्वारा भीड़ से संसद की ओर कूच के साथ हो रहा है। हालांकि, हार के बावजूद रिपब्लिकन समर्थकों के बीच ट्रम्प की रेटिंग 90% के आसपास है। क्या असर होगा इस घटना का अमेरिकी राजनीति पर, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...

2. 15 जनवरी को विकीपीडिया अपनी 20वीं सालगिरह मनाएगा। विकीपीडिया पर सैकड़ों भाषाओं में पांच करोड़ 50 लाख से अधिक लेख मौजूद हैं। उसके अंग्रेजी भाषा के 62 लाख लेख अकेले 2800 अंकों में छापे जा सकते हैं। विकीपीडिया पर जानकारियां डालने वाले 80% लोग पुरुष हैं। क्या है विकीपीडिया की आय का स्रोत,जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...

3. फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका 2021 तक कोरोना के पांच अरब से थोड़ी अधिक डोज मुहैया करा सकते हैं। यह ढाई अरब लोगों के लिए पर्याप्त होगी। रूस की स्पूतनिक की एक अरब से अधिक डोज मिल सकती हैं। चीन की भी दो वैक्सीन हैं। वैक्सीन की सप्लाई का आगे का क्या होगा रास्ता, जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख...



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सेठ ने फ्लाइट से वापस बुलवाया था, दूसरी कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट हो गया तो भगा दिया, तीन दिन स्टेशन पर भूखे पड़े रहे

सेठ को काम शुरू करना था तो उन्होंने हमें फ्लाइट से मेंगलुरू बुलवाया था। वहां पहुंचे तो उन्होंने बताया कि अब दूसरी कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हो गया है, इसलिए तुम्हारी जरूरत नहीं। हमने वापस जाने के लिए किराया देने का कहा तो बोले, तुम्हें पहले ही फ्लाइट से बुलवाया है, मेरा काफी पैसा खर्च हो गया। अब जाने का किराया नहीं दे सकता। अपने हिसाब से निकल जाओ। इसके बाद हम बड़ी मुश्किल से मुंबई तक आए। मुंबई स्टेशन पर तीन दिन तक पड़े रहे क्योंकि वापस जाने का किराया ही नहीं था। दो दिन से खाना नहीं खाया था। कृष्णकांत धुरिया नाम के ऑटो चालक ने खाना खिलवाया। उन्हीं के मोबाइल पर रिश्तेदार से पांच सौ रुपए डलवाए, तब कहीं जाकर गोरखपुर के लिए निकल पा रहे हैं। यह दास्तां गोरखपुर से मेंगलुरू गए उन आठ मजदूरों की है, जो मुंबई के लोकमान्य तिलक स्टेशन पर तीन दिनों तक फंसे रहे। तीन दिन भूखे थे। इन लोगों का हाल देखकर ऑटो चालक कृष्णकांत ने बात की और इन्हें तिलक नगर में शिव भोजन में खिलाने ले गया। वहां 5 रुपए में खाना मिलता है। वहां 5 रुपए में इन लोगों को एक की बजाए दो-दो प्लेट खाना दिया गया। फिर कुशीनगर ट्रेन से ये ...

इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद में कुरआन के साथ गीता, रामायण और वेदों की ऋचाएं भी पढ़ाई जा रहीं

यूपी के देवबंद में 164 साल पुराना एशिया का सबसे बड़ा इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम कुरआन, हदीस की शिक्षा और अपने फतवों के लिए पहचाना जाता है। आम तौर पर यहां की लाइब्रेरी में दाढ़ी और टोपी वाले स्टूडेंट कुरआन की आयतें, वेदों की ऋचाएं और गीता-रामायण के श्लोकों का उच्चारण करते मिल जाएंगे। दरअसल यह संस्थान छात्रों को गीता, रामायण, वेद, बाइबिल, गुरुग्रंथ और अन्य कई धर्मों के ग्रंथों की शिक्षा भी देता है। दारुल उलूम के बारे में इस जानकारी से अधिकांश लोगों को आश्चर्य हो सकता है, लेकिन हर साल यहां से पास होकर ऐसे स्पेशल कोर्स में दाखिला लेने वाले छात्रों की तादाद करीब 300 है। इनमें 50 सीटें हिंदू धर्म के अध्ययन के लिए होती हैं। यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी बताते हैं कि यहां छात्र मौलवी की डिग्री के बाद स्पेशल कोर्स चुन सकते हैं। यहां शिक्षा के 34 विभाग हैं, 4 हजार से अधिक स्टूडेंट्स हर साल अध्ययन करते हैं। उस्मानी बताते हैं कि 24 साल पहले देवबंद की कार्यकारी समिति ने यह स्पेशल कोर्स चलाने का फैसला किया था। इसके त...