हर मोहल्ले में एक टोली होगी, 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट; कूपन और रसीद के जरिए ही लिया जाएगा चंदा
अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के लिए धन संग्रह का काम 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति से शुरू हो रहा है। यह कार्यक्रम 42 दिनों का होगा। 27 फरवरी यानी माघ पूर्णिमा को इसकी समाप्ति होगी। श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसे ‘राम मंदिर निधि समर्पण अभियान’ नाम दिया है। इस अभियान को लेकर हमने विश्व हिन्दू परिषद के इंटरनेशनल वर्किंग प्रेसिडेंट और इस अभियान के प्रमुख आलोक कुमार, मध्य प्रदेश के लिए अभियान प्रमुख राजेश तिवारी और बिहार के सह अभियान प्रमुख परशुराम कुमार से बात की। बातचीत के प्रमुख अंश...
धन संग्रह अभियान की रूपरेखा क्या होगी
हम सभी राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। पूरे देश में 5.25 लाख गांवों में 13 करोड़ परिवारों के 65 करोड़ लोगों तक पहुंचने का टारगेट है। आंकड़ा बढ़ भी सकता है। इसके लिए हर राज्य में टीमें भी बन गई हैं। मध्य प्रदेश में 6.5 करोड़ और बिहार में 7.5 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य है। इसी तरह बाकी राज्यों ने भी अपने टारगेट सेट कर रखे हैं।
राम मंदिर के लिए चंदा किस मोड में स्वीकार किया जाएगा
अभी धन तीन तरह से लिए जा रहा है। पहला कूपन के माध्यम से, दूसरा रसीद के जरिए और तीसरा सीधे अकाउंट में डिपॉजिट किया जा सकता है। ट्रस्ट की तरफ से कूपन और रसीद राज्यों को भेज दिए गए हैं। 10 रुपए, 100 रुपए और 1000 रुपए के कूपन होंगे। 100 रु के 8 करोड़, 10 रु के 4 करोड़ और1000 रु के 12 लाख कूपन छापे जाएंगे। इससे ज्यादा जिसे दान करना है वो रसीद के जरिए कर सकता हैं। उसके लिए कोई लिमिट नहीं है।
कूपन पर भगवान राम और मंदिर का चित्र होगा। जो लोग रसीद के माध्यम से दान करेंगे उन्हें एक पत्रक और राम जी का चित्र भेंट किया जाएगा। पत्रक पर मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी होगी। जो हिंदी, अंग्रेजी के अलावा राज्यों की मातृ भाषा में भी होगा।
इसके अलावा जो लोग बड़ी राशि दान देंगे उन्हें पत्रक और चित्र के अलावा स्मृति के रूप में अंग वस्त्र, कॉफी टेबल जैसी चीजें भेंट की जाएगी। हालांकि ये अनिवार्य नहीं है। राज्य अपने लेवल पर ये तय करने के लिए स्वतंत्र हैं कि वो किसे क्या भेंट करना चाहते हैं।
क्या विदेश से धन स्वीकार किया जाएगा
फिलहाल, विदेशी धन स्वीकार नहीं होगा। क्योंकि इसके लिए फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) की मान्यता जरूरी है जो फिलहाल ट्रस्ट के पास नहीं है। इसको लेकर प्रोसेस जारी है। लेकिन अप्रूवल कब तक मिलेगा, इसके बारे अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।
क्या गहने या अन्न दान किया जा सकता है
अभी सिर्फ नकद पैसे ही लिए जाएंगे। आभूषण, अन्न या कोई और संपत्ति स्वीकार नहीं होगी। जो लोग दान देना चाहते हैं, उन्हें इन चीजों को बेचकर पैसे इकट्ठा करना होगा। फिर वो कूपन या रसीद के माध्यम से दान कर सकते हैं।
ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा के लिहाज से कौन से उपाय किए गए हैं
दान सिर्फ कूपन और रसीद के जरिए ही स्वीकार होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 48 घंटे के भीतर दिन भर में जमा की गई राशि को नजदीकी बैंक में जमा करना होगा। पहले दिन जिस बैंक की जिस शाखा में पैसा जमा होगा, अगले 42 दिन तक उसी बैंक की उसी शाखा में पैसा जमा कराना होगा। बैंकों में पैसा जमा करने के लिए अलग से डिपॉजिट स्लिप छापे गए हैं, जिसमें कोड नंबर हैं, अकाउंट नंबर नहीं।
ये राशि सिर्फ तीन ही बैंकों में जमा होगी। ये बैंक हैं - स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा। ये तीनों बैंक जमा राशि के लिए सिर्फ कलेक्शन अकाउंट का काम करेंगे। यहां से पैसे निकाले नहीं जा सकेंगे।
कितने लोगों की टोलियां बनेंगी और इसमें कितने लोग होंगे
सभी राज्यों में जिला स्तर पर एक कमेटी होगी। कई राज्यों में ब्लॉक स्तर पर भी कमेटियां बनेंगीं। इसके लिए हर जिले में एक ऑफिस भी होगा। कुछ राज्यों में ऑफिस बन गए हैं जबकि कई जगहों पर अभी प्रोसेस में हैं। हर गांव या मोहल्ले में जरूरत के हिसाब से टोलियां बनेंगीं। किसी गांव में 4-5 टोलियां भी हो सकती हैं।
हर टोली में पांच लोग होंगे जिसमें एक टीम लीडर होगा। उसके पास कूपन और रसीद होंगे। धन संग्रह वही करेगा। इसी तरह हर पांच टोलियों पर एक डिपॉजिटर होगा। यही बैंक में जाकर पैसे जमा करेगा।
इस अभियान से जुड़े लोगों को हर लेवल पर ट्रेंड किया जा रहा है। देशभर में ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें टोलियों के संचालन, हिसाब किताब करना, बैंकों में पैसे जमा करना, प्रचार प्रसार करना जैसी चीजें शामिल हैं। इन विषयों से जुड़े एक्सपर्ट ट्रेनिंग दे रहे हैं।
केंद्र, राज्य और जिलों में जो कमेटियां बनी हैं। उनमें ज्यादातर लोग संघ और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े लोग हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या आम नागरिक टोली का हिस्सा हो सकता है...
आलोक कुमार कहते हैं कि ये जरूरी नहीं है कि वह संघ या VHP से जुड़ा हो तो ही कमेटी में शामिल होगा। उस राज्य या जिले का कोई भी सोशल वर्कर या अहम व्यक्ति टीम का हिस्सा हो सकता है। वहीं राजेश तिवारी बताते हैं कि धन संग्रह टोली में कोई भी शामिल हो सकता है। इसके लिए उसे लोकल लेवल पर टीम लीडर से कॉन्टैक्ट करना होगा। लेकिन डिपॉजिटर या टीम लीडर की जिम्मेदारी उसे ही दी जाएगी जो पहले से परिचित होगा।
कितने तरह की टोलियां होंगी और उनका काम क्या होगा
टोलियां बनाने की जिम्मेदारी राज्यों की है। वे अपनी सुविधानुसार टोलियां बना रहे हैं। मुख्य रूप से जो टोलियां अभी बनी हैं वो इस प्रकार है...
- धन संग्रह टोली : घर- घर जाकर कूपन और रसीद बांटना और उनसे पैसे कलेक्ट करना।
- आर्थिक टोली : धन संग्रह को लेकर पैसों का हिसाब किताब देखना।
- कार्यालय टोली : हर जिले में इस अभियान के लिए कार्यालय बने हैं। वहां कुछ लोगों की टीम है जो जिलास्तर पर अभियान की मॉनिटरिंग करेगी।
- प्रचार प्रसार टोली : इस अभियान को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए ब्लॉक स्तर पर प्रचार की टोलियां बनी हैं। इसमें सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया से जुड़े और अनुभवी लोग शामिल हैं।
- विशिष्ट टोली : जो लोग बड़ी राशि यानी 5 लाख से ज्यादा का डोनेशन करेंगे, उनसे संपर्क के लिए विशिष्ट टोलियां बनी हैं।
कितना धन संग्रह का टारगेट है
अभी हमने धन संग्रह को लेकर कोई टारगेट नहीं रखा है। राम के नाम पर लोग जितना भी अपनी श्रद्धा से देंगे, हम स्वीकार करेंगे। वैसे भी मंदिर के साथ-साथ और भी चीजें बननी हैं, जो अभी सिर्फ ड्रॉइंग बोर्ड पर है। अप्रूवल नहीं मिला है। इसलिए अभी से कुल खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल है।
आपको बता दें कि ट्रस्ट ने अपनी तरफ से मंदिर निर्माण के लिए एक अलग कमेटी बनाई है। उसके अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा हैं। अकाउंट संभालने के लिए अलग से ऑडिटर जनरल भी नियुक्त किया गया है।
प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता के लिए कौन -कौन से कार्यक्रम किए जाएंगे
ट्रस्ट की कोशिश है कि यह अभियान जन अभियान बने यानी इसमें हर आदमी की कोई न कोई भूमिका हो। इसके लिए हर लेवल पर जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। कई जगहों पर मंदिरों में हनुमान चालीसा का पाठ, प्रभात फेरी, रात्रि जागरण भजन कीर्तन, अखबारों में विज्ञापन, रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करना जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
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