पिछले तीन महीनों में देश में सबसे ज्यादा चर्चा लद्दाख की हुई है। दिल्ली से लद्दाख की दूरी 1 हजार किमी से ज्यादा है। आमतौर पर बाइक पर लद्दाख जाने वाले बहुतेरे हैं। कइयों ने मनाली से श्रीनगर का सफर साइकिल पर भी किया है। लेकिन, पैदल शायद किसी ने नहीं। ये कहानी है दिल्ली के अशोक उप्पल की, जो एक नहीं, बल्कि 2 बार पैदल लद्दाख जा चुके हैं। उनकी कहानी उन्हीं की जुबानी... 15 से 25 की उम्र, वो उम्र जब दिल में आता है, कुछ भी कर जाओ। 1986 की बात है। कांवड़ यात्रा के लिए मैं पहली बार 200 किमी पैदल चलकर दिल्ली से हरिद्वार गया था। ये पैदल पहली यात्रा थी। इसके बाद वैष्णोदेवी गया। वैष्णोदेवी में बर्फ देखकर हम दोस्त चिल्लाने लगे तो वहां लोगों ने बोला ये क्या कोई बर्फ है? बर्फ ही देखना है तो लद्दाख जाओ। वहां बर्फ से रास्ते बंद रहते हैं। दिल्ली के रहने वाले अशोक उप्पल दो बार पैदल लद्दाख जा चुके हैं। जब वे 17 साल के थे तब से ही यात्रा कर रहे हैं। हमने तय किया, 1987 में कोशिश करेंगे पैदल लद्दाख जाने की। मई में छुटि्टयां थी तो गर्मियों के कपड़े, टीशर्ट और शॉर्ट्स में ही हम तीन दोस्त लद्दाख के लिए निकल ग...
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